दाह व उष्णता नाशक, शीतली प्राणायाम – Sheetali Pranayamaयोग का जीवन में महत्व – Importance of Yoga in Life… Click here (यहाँ क्लिक करें) Dehydration se Bachane ke Upay – आज हम गर्मी से राहत दिलाने की एक यौगिक विधि का वर्णन कर रहे हैं, जिसका नाम है शीतली प्राणायाम। तेज धूप व भीषण गर्मी में कभी कभी कूलर पंखा सब बेअसर होने लगता है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे सन स्ट्रोक व डिहाइड्रेसन का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसी दशा में शरीर का तापमान नियंत्रित रखने और उसे निर्जलीकरण से बचाने में यह क्रिया बहुत लाभदायक है। किसी विषम परिस्थिति में जहाँ तापमान अधिक हो अथवा जल की पर्याप्त उपलब्धता न हो वहाँ पर इसके अभ्यास से गम्भीर संकट को भी टाला जा सकता है। जिस प्रकार ए. सी. के प्रभाव से कमरे के भीतर शीतलता आ जाती है उसी प्रकार इसके अभ्यास से भी शरीर की गर्मी शांत हो जाती है। योग कुण्डल्योपनिषद, हठयोग प्रदीपिका, तथा घेरंड संहिता आदि प्राचीन और दुर्लभ योग ग्रन्थों में इसका प्रमुखता से वर्णन किया गया है। अनेकों लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं और हो रहे हैं। आप भी इस बहुगुणी यौगिक क्रिया अभ्यास कर चमत्कारिक लाभ प्राप्त करें शीतली प्राणायाम की विधि – Method of Sheetali Pranayama( Dehydration se Bachane ke Upay ) स्वच्छ हवादार स्थान में किसी सुविधाजनक आसन में बैठ जायें। दोनों हाथों से ज्ञानमुद्रा बनाते हुए आँखें सहजता से बन्द कर लें। जीभ को थोड़ा बाहर निकालकर उसके दोनो किनारों को ऊपर की ओर मोड़कर गोल पाइप जैसा बनाएँ। अब जीभ के इसी छिद्र से धीरे धीरे (5 से 7 सेकेंड तक) श्वास भीतर खींचें और 1 से 2 सेकेंड तक सहजता से रोकें। इसके बाद जीभ अंदर कर लें और श्वास को नाक द्वारा धीरे धीरे (5 -7 सेकेंड में) बाहर निकालें। श्वास लेना जीभ से और छोड़ना नाक से है, ऐसा एक समय में 8 -10 बार करें। अभ्यास के समय अपना ध्यान इधर उधर न जाने दें, प्रत्येक अनुभव के प्रति सजग रहें। इस क्रिया को आवश्यकतानुसार दिन में एक, दो, या अधिकतम तीन बार तक किया जा सकता है। शीतली प्राणायाम के लाभ – Benefit of Sheetali Pranayamaयह शरीर की बढ़ी हुई गर्मी को शांत करता है। यह शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता, विष के प्रभाव को कम करता है। यह धूप व गर्मी के कारण होने वाले दाह, तृषा, वमन, अपच, एसीडिटी, गुल्म, प्लीहा-ज्वर आदि में लाभदायक है। यह अस्वाभाविक रूप से बढ़ी हुई भूख (जिसे आयुर्वेद में राक्षसी भूख कहा जाता है) को भी शांत करती है। इसके अभ्यास से शरीर में शीतलता व चेहरे की कांति बनी रहती है। शीतली प्राणायाम में सावधानी – Caution in Sheetali Pranayamaअभ्यास के समय किसी अंग पर अधिक दबाव या खिंचाव न आने दें। मुखमंडल और मन को तनावरहित रखते हुये एकदम सहजता पूर्वक अभ्यास करें। जहाँ तक हो सके इसका अभ्यास खाली पेट करें। शरीर में कफ की अधिकता, क्षय, कास, तथा जलोदर आदि स्थितियों में इसका अभ्यास वर्जित है। धूप से आने के तुरन्त बाद अभ्यास करने से, या अभ्यास करने के तुरन्त बाद धूप में निकलने से परहेज करें। दीर्घ जीवन के लिए कुछ उपाय – Some Tips for Long Life… Click here जीवन में खुश रहने के उपाय – Ways to be happy in life… Click here (यहाँ क्लिक करें) Dehydration se Bachane ke Upay – ©डाॅ योगी बलवन्त सिंह – |