Ghazal in hindi kavitaआनंदमय जीवन की कला
दो दिलो का मिलन : Do Dilo Ka Milan
दो दिलो के मिलन का दिदार मांगता हूं,
जो मोहब्बत से पेस आये,
उस मोहब्बत के लिए प्यार मांगता हूं ।
गम के लिए खुशी,
चमन के लिए बहार मांगता हूं ।
एक दुल्हन के अरमानो का श्रृंगार मांगता हूं ।
विरह वेदना मे तड़पती हुई,
उसी दुल्हन के लिए अंगार मांगता हूं ।

– © सतीश कौशल –

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आज जंग-ए-ज़िन्दगी में कोई हारा क्या करें !
अलविदा कहकर गया कोई सितारा क्या करें !
प्यास तो सारे जहाँ की वह बुझा देता मगर
है मगर जब आब ही सागर का खारा क्या करें !
आज उस दरिया में मैं लेकर सफ़ीना रह गया
स्याह रातों में नहीं सूझे किनारा क्या करें !
मैं भी उनके दीद का था मुन्तज़िर,लेकिन कहाँ-
बज़्म में मैं जा सका किस्मत का मारा,क्या करें !
भाईचारा और है अम्न-ओ-सुकूँ हासिल नहीं
दिन-ब-दिन चढ़ता गया दहशत का पारा क्या करें !

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Do Dilo Ka Milan

– © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –