बहुत पुरानी मान्यता है कि हनुमान जी की साधना स्त्रियां नहीं कर सकती। परंतु यह सत्य नहीं है। ज्ञानी-गुनीजनों का भी मानना है कि निरपेक्ष जिसे हम ईश्वर कहते हैं वह स्त्री-पुरूष में भेद नहीं करता । यद्यपि प्रकृति ने स्वयं ऐसी व्यवस्था कर दी है जिसमें स्त्री-पुरूष स्वयमेव एक दुसरे के प्रति आकर्षित होते हैं तथा परस्पर एक दूसरे के वश में होते हैं। स्थिति तब बिगड़ती है जब जो जोड़ा साथ रह रहा हो उनकी केमिस्ट्री मेल न खाए । ऐसे में प्राकृतिक नियम भी बेअसर हो जाते हैं । अतः जीवन साथी अथवा पेयस/पे्रयसी के संग सुचारू रूप से जीवन व्यतीत करने के लिए हनुमान जी की शरण में जाया जा सकता है । हनुमान चालीसा पाठ के अलावा अलग-अलग उद्देश्यों से अनेक शाबर मंत्र प्रचिलित हैं, जो देश में प्रचिलित अनेक लोक भाषाओं में अथवा मिश्रित भाषाओं में है । निम्नलिखित शाबर मंत्र का प्रयोग स्त्री-पुरूष कोई भी कर सकता है।
– © पं० आदित्य धर द्विवेदी – |