Hindi Diwas Par Poem in Hindiआनन्दमय जीवन की कला
हिन्दी दिवस पर कविता
Hindi Diwas Par Kavita
:: हिन्दी दिवस के भावोद्गार : राष्ट्रभाषा की व्यथा ::
हिन्दी को वनवास दे, अंग्रेजी को राज।
हमने सत्तर साल में, कैसा गढ़ा समाज?
हिन्दी हिन्दुस्तान में, हुयी सेविका आज।
पटरानी बनकर यहाँ, इंग्लिश करती राज।।
हिन्दी की बिन्दी नहीं, सूना सूना भाल।
फैला है हर देह पर, टैटू का संजाल।।
पकड़ लिया है इस तरह, अंग्रेजी का भूत।
चढ़ा हुआ हो जिस तरह, छाती पर यमदूत।।
हिन्दी के घर में छिपे, हैं कुछ चिंदीचोर।
जो हिन्दी के हाथ को, करते हैं कमजोर।।
हिन्दी मे है चेतना, हिन्दी मे है प्राण।
हिन्दी में है देश का, स्वाभिमान सम्मान।।
हिन्दी हो आराधना, हिन्दी हो आराध्य।
हिंदी साधन-साधना, हिन्दी ही हो साध्य।।
हिन्दी सूर कबीर है, हिन्दी है रसखान।
आओ सब मिलकर करें, हिन्दी का उत्थान।।

Hindi Diwas Par Kavita

– ©योगी बलवन्त सिंह –