:: Jeevan Par Hindi Kavita – 1 ::
जीवन भर यह आस रह गई
मन में अनबुझ प्यास रह गई कोई तो होता जो मेरे अंतर्मन को पढ़ पाता कोई तो होता जो बिना कहे ही सब कुछ सुन जाता कोई तो होता जो मेरे मन का दर्द बाँट जाता कोई तो होता जो मेरे अलिखित अश्रुसिक्त पत्र के शब्दों की गहराई को आत्मसात कर के जाता काश कोई तो मेरे मौन को बिन शब्दों के सुन पाता काश कोई तो मेरे मौन को बिन शब्दों के सुन पाता इस दुनिया में आये तन्हा और तन्हा ही जाना है क्या ग़म है गर भीड़ में भी मन खुद को तन्हा पाता है। Click here to read more… और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
:: Jeevan Par Hindi Kavita – 2 ::
हर रिश्ते को पलकों पे सजाती हैं औरतेँ
रिश्तों की नज़ाक़त को उठाती हैं औरतें भाई हो, पिता हो या पति हो या हो बेटा हर रिश्ते की कमियों को छुपाती हैं औरतेँ होती न औरतेँ तो ये,रिश्ते भी न होते हर रिश्ते की बुनियाद को थामे हैं औरतेँ मां है वो, कभी तो ,कभी बेटी कभी पत्नी हर रिश्ता निभाने में न आई कभी कमी पुरुषों को दे आदर उन्हेँ सम्मान दिलाया इंसान को भगवान बनाती हैं औरतेँ अब और क्या कहें ये सभी जान गए हैं घर चार दीवारी को बनाती हैं औरतेँ।
:: Jeevan Par Hindi Kavita – 3 ::
कभी आग के दरिया जैसी तपन है
कभी बर्फ के झरनों जैसी रवानी कभी शोलों जैसी धधक इसमे पाई कभी सावनी घटा बन के इतराई कभी पांव के नीचे मखमल बिछाया कभी सेज कांटों की तूने बिछाई जहां में अभी तक न समझा है कोई कहाँ कौन सा मोड़ कब तू है लाई समझना जो चाहें तुझे कैसे समझें के हर पल में देता नया कुछ दिखाई समझने के इस फेर में ही तो हमने यहां ज़िन्दगी आज अपनी लुटाई बहुत कोशिशें की हैं तब इतना समझे कि तुझको समझना ना मुमक़िन है भाई सच्ची बातें – Sachi Baatein… क्लिक करें
:: Jeevan Par Hindi Kavita – 4 ::
ज़िन्दगी नाम नही सांस लिए जाने का
ज़िन्दगी नाम नही ऐश किए जाने का ज़िन्दगी नाम नहीं खुद के लिए जीने का ज़िन्दगी नाम है औरों के लिए जीने का ज़िन्दगी एक नियामत जो खुदा ने बख्शी ज़िन्दगी नाम है सजदों के किये जाने का ज़िन्दगी रंग हज़ारों है दिखाती सबको ज़िन्दगी नाम है हर रंग से मिल पाने का ज़िन्दगी को कभी निराश न करना ऐ दोस्त ज़िन्दगी नाम है आशा में जिए जाने का ज़िन्दगी को जो समझना है पहले खुद को समझ ज़िन्दगी कोई तमाशा नहीं खिलवाड़ नही ज़िन्दगी एक हक़ीक़त है कोई ख्वाब नही ज़िन्दगी जीते हैं सब एक दिन मार जाते हैं ज़िन्दगी नाम है मर के भी जिये जाने का ज़िन्दगी मर के वही जीते हैं जो कि औरों के ज़ख़्म सीते हैं ज़िन्दगी को भी फक्र है उन पर जो कि एहसासे दर्द पीते हैं सिर्फ अपने लिए जिये तो तुम क्या ख़ाक जिये कौन सा काम किया तुमने है इंसानों का? ज़िन्दगी नाम नहीं सांस लिए जाने का ।
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