:: ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा ::
ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा।
चईतै में देखा झुराय गइलीं गंगा ।।
गंगा नहीं अब त नाला बहत बा ।
अमरित के दर पे घोटाला बहत बा।
सीता जस धरती समाय गइलीं गंगा।
ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा।।
पंडा किसानन मलाहन के रोटी।
खनन माफ़ियन के नियत भइलीं खोटी।
ट्रेक्टर में भरि भरि बिचाय गइलीं गंगा।
ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा ।।
अइलीं हिमालय से तीरथ के गंगा ।
पापिन के तरलीं भगीरथ के गंगा ।
खोजा अब कहवाँ पराय गइलीं गंगा।
ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा।
अमरित के कीमत न बूझें अभागा।
नयन पट खोला सबै अब त जागा।
नाहीं त ठेंगा देखाय गइलीं गंगा।
ए बुढ़िया माई कोंहाय गइलीं गंगा।। – © मुन्नागुरू –
:: गंगा माँ ::
गंगा है अमूल्य विधि भारतीय सभ्यता की,
भारतीयता की शान और पहचान है।
आदि से सदैव उपकार से रमी रही है,
पाप की निशा को करे पुण्य सुविहान है।
मानव ही नहीं प्राणिमात्र की भलाई हेतु,
गंगा कलिका में परम वरदान है।
कोटि-कोटि शीश नत होते जिसके संक्षम,
गंगा हिन्द राष्ट्र का पुनीत स्वाभिमान है।।
:: जय हो मां आपकी सतत बहती ही रहे अमर कीर्ति ::
जय हो मां आपकी सतत बहती ही रहे,
परमार्त भावना की ही सदैव जय हो।
जय हो मनुष्यता की, जग में अमर कीर्ति,
रहे कभी किसी को किसी से भी न भय हो।
भय हो प्रदूषण का नहीं जन जीवन में,
जीवन सभी का हो नीरोग, नहीं क्षय हो।
क्षय हो न नीर आदि गंगा, गोमती की मित्र,
लोकहित को समाये भारत की जय हो।।
:: दुख दोष सभी के मिटाती है जो ::
परमार्थ का पावन भाव लिये,
निज गेह का त्याग सिखाती है गंगा।
नंहि भेद कभी करती किसी में,
शुचि ऐक्य का पाठ पढ़ाती है गंगा।
सहती युग के अभिशाप सदा
फिर भी मन ताप मिटाती है गंगा।
करके सुख शान्ति प्रदान हमें,
उर अन्तर मोद मनाती है गंगा।।
सरिता नहीं मात्र, है मन्दाकिनी माँ,
स्वधर्म को नित्य सँवारती है।
मुत को नित नूतन हर्ष मिले,
इस हेतु स्वजीवन वारती है।
दुख दोष सभी के मिटाती है जो,
सबको भवपार उतारती है।
वही दैन्य प्रदूषण से घिरी आज,
स्वदेश की ओर निहारती है।।
:: स्नेह सरसाती दुलराती रही गोमती ::
गोमती का अवदान, तप त्याग है महान,
खेत सींच सोना उपजाती रही गोमती।
पीलीभीत से निकल लहराती हुई बढ़ी,
परमार्थ के ही गीत गाती रही गोमती।
कोरी कोरी बात नहीं है असल बात यही,
देवताओं तक को भी भाती रही गोमती।
युगों से बुझाती रही प्यास की भी प्यास यह,
स्नेह सरसाती दुलराती रही गोमती।।
आप लोगो से निवेदन है कि नदियों से गंदे नालों को न जोड़े और न ही उसमे कूड़ा-कचरा डालें।
– ©अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ – |