आध्यत्मिक अनुभव – Spiritual ExperienceThe Art of Happiness Life
मृत्यु से डर कैसा ? : Mrityu Se Dar Kaisa ?

प्रत्येक विचार के दो पक्ष होते है सकारात्मक व नकारात्मक ( Positive and negative ) , लेकिन यह मनुष्य पर निर्भर ( Dependent on man ) होता है कि वह किस पक्ष को स्वीकार ( Acceptance ) करता है। इसी प्रकार मृत्यु ( Death ) के भय ( Fear ) के भी दो पक्ष है, यह व्यक्ति पर निर्भर करता है ( It depends on the person ) कि वह मृत्यु सकारात्मक मानता है या नकारात्मक । मृत्यु तो निश्चित है ही ये परम सत्य है ( This is the ultimate truth ) धरती पर उपस्थित ( Present on earth ) प्रत्येक प्राणी ( Every creature ) कभी न कभी तो काल के गाल में समाहित तो हो ही जायेगा । जीवित ही नही बल्कि निर्जीव वस्तु ( Non living thing ) जो आपके, हमारे चारो ओर विस्तृत है ( We are all round ) सामान्य छोटी वस्तुओ ( Small things ) से लेकर विशाल चन्द्रमा, पृथ्वी, सूर्य ( Moon, Earth, Sun ) का भी जीवनकाल ( Life span ) निश्चित है, कभी न कभी इनका भी छय होगा ये भी नष्ट ( Destroyed ) होगी ।

ये विशाल अक्षय दिखने वाली संरचना ( Structure ) भी जब समय के समक्ष टिक नहीं सकती तो इस मनुष्य शरीर कि औकात ( Status ) ही क्या ? हर व्यक्ति का जीवन यदि शुरू हुआ है तो समाप्त भी होगा । ( If every person’s life has begun, then it will end. ) एक कथन है कि –

” हर व्यक्ति कि मृत्यु, उसके जन्म के पूर्व ही निश्चित होती है। ”
( Every person that dies is sure to be born before his birth )

और ये सत्य ( Truth ) भी है हम ये कह सकते है कि जिसने जन्म ( Who born ) लिया है या बाद में लेगा वह निश्चित ही उसकी मृत्यु होगी । महत्वपूर्ण ये नही है कि मृत्यु होगी या नही बल्कि महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि मृत्यु कब होगी? कल या चार दिन बाद, महीने बाद या दस साल बाद आखिर कब इसका ठीक – ठीक उत्तर हम इन्सान के बस से बाहर है।

ये प्रश्न अक्सर व्यक्ति के मन में डर पैदा कर देता है कि हमारी भी कभी मृत्यु होगी और मृत्यु होनी भी चाहिए ( Must die ) । आप खुद विचार कीजिये कि यदि कोई व्यक्ति मरेगा नही तो उसका जीवन ( Life ) कितना नीरस हो जायेगा और नीरस जीवन का तो कोई महत्व ( Importance ) ही नही, अतः जीवन को ओजपूर्ण बनाने व जीवन का आनंद ( Happiness ) उठाने के लिए मृत्यु आवश्यक है इसलिए हमें मृत्यु को नकारत्मक के स्थान पर सकारात्मक समझना ( Understanding ) चाहिए।

एक जीनियस, एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने मृत्यु को सकारात्मक मान कर अपने आप को इस जीवन के निश्चित समय में असीम संभावनाओ को ढूँढने के लिए स्वय को प्रेरित किया। स्टीव रोज सुबह खुद को आइने में देख कर सवाल पूछते ( Ask questions ) –
“यदि आज का दिन मेरे जीवन का आखिरी दिन होता तो क्या मैं वही करता जो मैं करने वाला हूँ ?”
जब वह इस सवाल का जवाब ढूँढते तो यही जवाब मिलता कि नहीं यदि आज मेरे जीवन का अंतिम दिन होता तो आज मैं अपना मन पसंदीदा काम करता और अपना सत् प्रतिशत उस काम में देता और उन्होंने ये किया।

अतः मृत्यु से घबराये नहीं ( Not nervous of death ) , बल्कि अपने समय को निश्चित ( Fixed ) मान कर उसका सदुपयोग ( Good use ) करे यही मृत्यु का अभिप्राय है ( That is the meaning of death ) ।

– © विवेक –