:: कारनामें हो रहे कितने घिनौने आजकल ::
कारनामें हो रहे कितने घिनौने आजकल।
देश की इज़्ज़त भी बिकती औने पौने आजकल। जॉनसन बेबी भी मैला डायपर में ढो रहे,
अब कहाँ लगते हैं काजल के ढिठौने आजकल। बेतहाशा है कमाई आसमाँ छूते मक़ान,
हो गए हैं क़द मक़ीनों के ही बौने आजकल। लूटते हैं धन गरीबों का सुकूं भी चैन भी,
मिल रहे उनको ही मखमल के बिछौने आजकल। गोद में पिल्ला लिए हैं नस्ल है अलशेशियन,
क्रेच में पलते हैं नन्हें मुन्ने छौने आजकल। – ©मंजुल मिश्र मंज़र – Click here to read more… और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें Rajniti Par Ghazal Shayari |