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कवि के लिए गीत और कवितायेँ – Kavi ke Liye Geet aur Kavitayen

:: Song and Poems for Poet- कवि वह ::

कवि वह जो कि मातृभूमि का करे बखान,
राष्ट्रभक्ति-भाव का प्रसार करता रहे।

कवि वह जिसकी सभी के प्रति एक दृष्टि,
सबसे मधुर व्यवहार करता रहे।

सदभावनाओं से भरा हो जिसका हृदय,
जीवन में श्रद्धा सदाचार भरता रहे।

कवि वह चाहता जो लोक हो सुखी सदैव,
विश्व शान्ति का सदा प्रसार करता रहे।।

:: निराला ::

कवि वह जो सदा जगत को दिखाता राह,
कमल से मेटता जो लगा हुआ जाला है।

एक धुन केवल समाज और राष्ट्र प्रेम,
जन, भूमि, सभ्यता के लिए मतवाला है।

माना कि सनकियों की बढ़ी हुई है जमात,
किन्तु अभी देखिये तो बहुत उजाला है।

जो अभावों में पला बढ़ा गुजारे जीवन को,
वही सूर्यकान्त यहाँ बनता निराला है।।

:: निराला हो ::

हिन्दी के जगत को माँ! मिले अब अविलम्ब,
कवि जिसमें समाया हर गुन आला हो।

साफगोई से न परहेज करता हो कभी,
भारत व भारतीयता के मन वाला हो।

अन्तस भरा हो संवेदना की भावना से,
लेखनी से शब्द-शब्द में भरा उजाला हो।

दिखे नहीं दीन व पलायन करे न कभी
सूर्य सम कान्ति लिये जग से निराला हो।।

सरिता नहीं मात्र, है मन्दाकिनी माँ,
स्वधर्म को नित्य सँवारती है।

मुत को नित नूतन हर्ष मिले,
इस हेतु स्वजीवन वारती है।

दुख दोष सभी के मिटाती है जो,
सबको भवपार उतारती है।

वही दैन्य प्रदूषण से घिरी आज,
स्वदेश की ओर निहारती है।।

:: बहार पतझार में ::

मन्द-मन्द मुखड़े पे मुस्कान आती जब,
अन्तर न रहता है फूल और खार में।

पल-पल प्यार का अतुलनीय होता प्रिय,
होती है उमंग ये बसंन्त की बयार में।

प्यार में दिलों की अनुभूति होती है सघन,
लगे प्रिय सदृश न कोई घर- व्दार में।

लगता है झूम-झूम गाती है समग्र सृष्टि,
छाती है वसन्त की बहार पतझार में।।

– ©अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ –

Song and Poems for Poet