वह स्थान जहाँ अभेनेता और अभिनेत्री अभिनय करते है उसे रंगमंच कहा जाता है । ( The place where actresses and actresses are called theater. ) दोनों को निर्धारित भूमिका निभाना पड़ता है । किसो को रंगमंच पर हसना पड़ता है और किसी को दु:ख के समय रोना पड़ता है । इस संसार या दुनिया की तुलना एक रंगमंच से की जा सकती है । ( This world or world can be compared to a stage. ) संसार रूपी रंगमंच में नर-नारी अपनी भूमिका निभाते हैं । रंगमंच वही रहता है लेकिन नाटक के पात्र अपनी भूमिका निभाते हैं और उसके बाद वे चले जाते हैं । पात्रो द्वारा दिखाया गया खेल या नाटक की तुलना मनुष्य के जीवन से की जा सकती है । ( The play or drama shown by the characters can be compared to human life. ) या नर-नारी अर्थात मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक जो सुख-दुःख जीवन में घटनाएं घटित होती हैं उनके इस घटनाओं को खेल या नाटक की संज्ञा दी जा सकती है । ( These events can be termed as play or drama of men and women, from the birth of a person to the events which occur in happiness and misery. ) प्रकृति दर्शक का काम करती है । ( Nature acts as a the audience. ) अभिनेता रंगमंच पर अपना प्रदर्शन करते हैं । रंगमंच पर राजा की भूमिका निभाने वाला वास्तविक राजा नहीं होता है । जोकर, जो सभी को खुशियाँ या हँसाता है, उसका जीवन कष्ट से भरा हो सकता है । दूसरो के शब्दों, वस्त्रो, क्रिया-कलापों से ही हम उनके विचार और आचरण का अनुमान लगाते हैं । रंगमंच पर दिखाया गया खेल या नाटक वास्तविक या इसके विपरीत भी हो सकती है । लेकिन संसार की तुलना रंगमंच से केवल की जा सकती है । संसार या दुनिया का क्षेत्र बहुत ही विशाल होता है । ( The world or the world is very vast. ) इसके बारे में जानना बहुत मुश्किल नहीं असम्भव हो सकता है । विलियम शेक्सपियर ( William Shakespeare ) की कुछ महत्वपूर्ण उद्धरण ( Some important quotes) निम्नलिखित हैं –
“Have more than you show, speak less than you know.”
It,s easy for people to joke about scars if they’ve never been cut.”
“Nothing is good bad, but thinking makes it so.”
“Our bodies are gardens, our wills are our gardeners.”
“Some are born great, some achieve greatness,
and some have greatness thrust upon them.”
“There is nothing either good or bad but thinking makes it so.”
– William Shakespeare – |