Human and God Ishwar PowerThe Art of Hapiness Life

ईश्वर का अस्तित्व : धर्म बनाम विज्ञान
Ishwar Ka Astitva : Dharma Banam Viyan

जब से मनुष्य में अपने आस – पास के वातावरण को समझने व जानने की चेतना जागृत हुई है । मनुष्य अपने अस्तित्व को लेकर प्रश्न करता आया है की वह कौन है ? वह कहाँ से आया है? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल की हमे किसने बनाया और क्यों? इस प्रश्न का उत्तर खोजने के साथ – साथ ईश्वर की संकल्पना जन्म लेती है । यदि सनातन धर्म के मतों के अनुसार माना जाये तो ईश्वर का अस्तित्व समय के प्रारम्भ से है और समय के अंत तक रहेगा।

यह सम्पूर्ण विश्व ईश्वर की ही रचना है ( This entire world is the creation of God ) । यहां का प्रत्येक कण ईश्वर की इच्छा से ही गतिमान है हर कण की गति और दिशा ईश्वर ही नियन्त्रित करते है । मनुष्यों, जीव जन्तु , पेड़ – पौधे आदि सभी जीवो की भी रचना ईश्वर ने ही की है ( All creatures have been created by God ) । उनकी सभी क्रिया – कलाप व विचार को ईश्वर ही नियन्त्रित करता है यहां तक की मनुष्य की भावनाओं को भी ईश्वर ही नियन्त्रित करता है ।

ईश्वर ही सम्पूर्ण जगत का पालनकर्ता है सूर्य , चन्द्रमा, धरती व सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ईश्वर की ही रचना है। और ईश्वर निराकार है न उसका रंग है न ही रूप परन्तु वह एक ऊर्जा है जो सब कुछ नियन्त्रित करता है ।

वही ईश्वर के अस्तित्व का दूसरा पक्ष भी है जो विज्ञान के नजरिए से विज्ञान के अनुसार प्रत्येक वस्तु अनन्त सूक्ष्म कणो से मिलकर बनी है जिन्हें परमाणु कहते है यही मौलिक कण है जिनसे सूर्य , चन्द्रमा , धरती एव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ है । इन कणो की गति व दिशा जो कारक नियन्त्रित करता है वह ऊर्जा है । सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को बनाने के लिए हमे दो कारको की आवश्यकता होगी – द्रव्यमान , उर्जा और ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड इस प्रकार द्रव्यमान व ऊर्जा की जटिल संरचना है । हर क्रिया, गति , दिशा कुछ नियमो पर आधारित होती है तथा यह सम्पूर्ण संचालन ऊर्जा के माध्यम से ही होता है । जैसे – जैसे विज्ञानिक खोजे, नये चरण में पहुची ।

आइन्स्टीन ने अपनी क्रांतिकारी समीकरण e = mc2 से ( Einstein from his revolutionary equation e = mc2 ) ये सिद्ध कर दिखाया की द्रव्यमान व ऊर्जा अलग – अलग नही बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जिन्हें एक दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है।

अत: हम यह कह सकते है कि ये सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ऊर्जा से ही बना है । हम, आप, पेड़ – पोधे, जीव – जन्तु आदि ब्रह्माण्ड की प्रत्येक संरचना ऊर्जा ही है । ऊर्जा ही ब्रह्माण्ड का ईश्वर व कार्यपालक है । रही बात मनुष्य और जीवन की उत्पत्ति की तो विज्ञान के अनुसार जीवन की उत्पत्ति विभिन्न प्रकार के परमाणुओं के संयोग से एमिनो एसिड ( Amino acid ) के तालाब से हुई । सबसे पहले एक कोशिका वाले जीवो का निर्माण हुआ । समय के साथ – साथ उनकी शारीरिक संरचना जटिल हो गयी । वे उनमे विभिन्न क्रियाओ को अंजाम देने के लिए, वह बहुकोशिका वाले जीवो के रूप में विकसित होने लगे और ये बहुकोशिका वाले जीव और जटिल होकर करोडो वर्षो के क्रम विकास के दौरान मानव का स्वरुप प्राप्त किया ।

धर्म व विज्ञान दोनों ही ईश्वर को अपनी – अपनी तरह परिभाषित करते है ( Both religion and science define God as their own ) परन्तु दोनों का एक ही विषय को लेकर अलग नजरिया है । धर्म उसे ईश्वर कहता है और विज्ञान उसे ऊर्जा ( Religion calls him God and science is his energy ) । यह बहस तब तक चलती रहेगी, जब तक विज्ञान यह पता नही लगा लेता की ब्रह्माण्ड में ये ऊर्जा आयी कहां से और कैसे ? अब ये जिम्मेदारी विज्ञान के कंधो पर है और जब तक उत्तर नही मिलता, धर्म बनाम विज्ञान की बहस चलती रहेगी ।

 

– Vivek Maurya –