manushya-ka-jeevanआनंदमय जीवन की कला
जीवन को सहज कैसे बनायें : Jeevan Ko Sahaj Kaise Bnaye

आज की भाग दौड़ जिन्दगी में व्यक्ति बहुत ज्यादा उलझ गया है ( Today’s part of the race, the person has become very involved in life. ) कि वह अपने लिए ही फुरसत नहीं निकाल पा रहा है । व्यक्ति काम-काज बहुत ज्यादा कर रहा है, परंतु अपने जीवन का या जीवन के रहस्य को खो दिया है । ऐसा मालूम होता है कि मनुष्य का जीवन मशीन हो गया है । मनुष्य ने अपने जीवन को इतना जटिल बना दिया है कि जीवन कि मधुरता, खुशी, हर्ष-उल्लास, सहजता, सरलता और गंभीरता नष्ट हो गई है । ( Humans have made their life so complex that the happiness, joy, happiness, simplicity and severity of life have vanished. )

आज हमारे पास सब कुछ होते हुए भी छ्टपटाहत, उदासी, घुटन आदि हर तरफ दिखाई पड़ती है । ( Today, despite everything we have, we can see all the splendor, sadness, suffocation, etc. on all sides. ) क्या वजह है कि नदी के पानी की कल-कल की आवाज हमें आनन्दमय नहीं करती ? क्यों पशु-पछियों का कलरव हमारा ध्यान नहीं खींच रहा है ? क्योंकि हम अचेतन में जीने लगे हैं, दूसरे सब्दों में कहें तो उसे खुद नहीं पता है कि मैं कौन हूँ ? यही करण है कि कार्य तो हो रहें हैं किन्तु हमको उनका ज्ञान नहीं रहा ।

हमको अपने जीवन में कुछ भी जानने के लिए अवलोकन और अनुभव करना होगा यह तभी संभव है जब हम सचेत हो । यदि हम स्वयं को जनना चाहते हैं, तो हमें अपने आप को सचेत, विचार और व्यवहार के प्रति सजग होना होगा । ( We will have to observe and experience to know anything in our life, it is possible only if we are conscious. If we want to give birth to ourselves, then we have to be conscious of our thoughts, thoughts and behavior. ) अर्थात अपने जीवन को सहज बनाना होगा तथा अपने आप को बदलने के लिए सबसे पहले हमें अपने आदतों में बदलाव करना होगा ।

जीवन को मधुर व सरल बनाने के लिए अपने आप को तथा मन को मुक्त करना होगा । ( To make life smooth and simple, you have to free yourself and your mind. ) हमें ऐसे मन कि जरूरत है, जो न किसी का पछ ले और न किसी वाद-विवाद में पड़े अर्थात जो शान्त और स्थिर हो । अधिकतर व्यक्ति अपने आप को ही नहीं जानते हैं कि मैं कौन हूँ ? मेरा अस्तित्व क्या है ? इसलिये मनुष्य न तों फूलों के सौंदर्य, न तो पक्षियों की चहचहाहट का आनन्द ले पाते हैं । हम अपने बारे में वही देख पातें या जान पाते हैं, जो हमारा पूर्वे अनुमान है । इस प्रकार मनुष्य को कुछ भी सीखने या जानने के लिए विनम्रता की आवश्यकता है ।

यदि मनुष्य, जीवन की नीरसता को निकाल कर मधुर बनाना चाहते हैं तो अपने जीवन को सहजता के साथ जीना होगा । ( If a person wants to take away the despair of life and make it sweet, then your life will have to live smoothly. ) जीवन में मधुरता, सहजता, उत्साह इत्यादि तभी संभव होता है जब वह बाहरी दिखावा या वाह्य आडंबरों, जटिलताओं आदि से मुक्त होकर सरलता और सहजता से जीना प्रारम्भ करतें हैं यही सहज जीवन का सार है । ( This is the essence of simple life. )

– © Pramod Kumar –