Ghazal in hindiआनंदमय जीवन की कला
ग़ज़ल हिन्दी में : Ghazal Hindi Me
:: 1- ग़ज़ल ::
तेरी महफिल में ख़ुद को आजमानें आ गये हैं हम ।
किसी की रौशनी में दिल जलाने आ गये हैं हम ॥
हुये सब मुतमइन घायल की तड़पन हो गयी ठंढी ।
जनाजा आदमीयत का उठाने आ गये हैं हम ॥
खिलाकर मिर्चियाँ उसको सिखायीं गालियाँ हमने ।
उसी तोते को अब शक्कर चुगाने आ गये हैं हम ॥
सुनाते हाले दिल कैसे जुबाँ ही काटकर रख दी ।
उसे दिल चीरकर अपना दिखाने आ गये हैं हम ॥
लड़ी शैताँ से अब तक आदमीयत शान से लेकिन ।
अब अपने कारनामों से लजाने आ गये हैं हम ॥
हुये मायूस क्यों हैं आप इन काग़ज के फूलों से ।
‘कँवल’ से आपकी महफिल सजाने आगये हैं हम ॥
:: 2- ग़ज़ल ::
ठिठुरता अँधेरा कुहासा घना है ।
दिया जल रहा जो वो किसका बना है ॥
सदा भा गयी है जमाने को उसकी ।
पता कब चलेगा कि थोथा चना है ॥
दुनिया मशीनी में चेहरे मशीनी ।
लगे है कि हँसना या रोना मना है ॥
नहीं है लड़ाई कोई इश्क जैसी ।
जहाँ जीतने के लिये हारना है ॥
परेशाँ है ग़म जीत मय की हुई है ।
गुलाबी के घर जश्न है नाचना है ॥
धनी है ‘क़वल’ तू भी किस्मत का लेकिन ।
रहे याद कीचड़ तेरा पालना है ॥
:: 3- ग़ज़ल ::
वोह तो बातिल है निरा वो मेरा रकीब नहीं ।
मेरे महबूब के वो दूरतक करीब नहीं ॥
शामेफ़ुरकत का मजा छीन न पायेंगे कभी ।
मै जानता हूँ मैं इतना भी बदनसीब नहीं ॥
होश मे रहके बहकने में ही मजा है मियाँ।
पी के बेहोश जो साकी का वो हबीब नहीं॥
सम्हल सम्हल के बोलना ये ऐसी महफ़िल है ।
सम्हाल करने को कोई यहाँ अदीब नहीं ॥
स्याह जुल्फ़ों की घनी छाँव का सुकूँ ऐसा ।
जिक्रेजन्नत भी लगे है मुझे अजीब नहीं ॥
हों जिसके पास नेमतें तुम्हारी कुदरत की ।
वो किसी हाल में होता ‘कँवल’ ग़रीब नहीं ॥

– ©कमला पति पाण्डेय ‘कमल’ –

:: 4- ग़ज़ल ::
गुफ्तगू आंसुओं से, हुईं है.
बेबसी साथ उसके रही है ।
जिक्र महबूब का हो न जिसमे,
वह गजल तो गजल ही नही है ।

– ©आतिश सुल्तानपुरी –

:: 5- ग़ज़ल ::
सुबह और रात का सर्द फासला हूँ मैं,
फूटती हुई किरणों का नया हौसला हूँ मैं,
अजनबी हूँ मैं, आ गया हूँ, चला जाऊँगा,
तेरा प्यार पाने को अब हुआ बावला हूँ मैं ।

– ©समीर कवितावली-2 –