:: प्रेम के पयोधि में ::प्रेम के पयोधि में अथाह गहराई, यदि,
उतरे कहीं तो फिर वापस न आओगे। चेतना को सहज स्वरूप प्राप्त होगा और,
निजता का गणित तुरन्त भूल जाओगे। आपको यो जिन्दगी सहानी लगने लगेगी,
व्देष को बिसार जब प्रेम गीत गाओगे। जीवन सफल होगा, शुभ प्रतिफल होगा,
प्रेम पंथ पर जब कदम बढ़ाओगे।। :: कुछ लोग… ::लोग जिन्दगी में आते जाते रहते हैं पर,
अपनी विशिष्ट छाप छोड़ जाते कुछ लोग। छल-दम्भ में समाये रहते हैं लोग-कुछ,
और जिन्दगी को रहते लुभाते कुछ लोग। कुछ लोग बस औपचारिक हैं जीवन में,
व्यवहार से हैं दिल में समाते कुछ लोग। कुछ लोग सूरज सा ताप को बढ़ाते बस,
इन्दु सम ताप को मिटाते बस कुछ लोग।। :: वरदान ::प्यार मिलता है जिसे वह भरता उड़ान,
देता है ये गति जिन्दगी में ठहराव को। प्यार जोड़ता है सदा अपनाता गैर को भी,
भाव कभी आता ही नहीं है अलगाव को। प्यार है अतुलनीय ईश्वर का वरदान,
प्रेम देखता नहीं है रंक और राव को। दर्प से भरा हृदय पा नहीं सकेगा रंच,
स्नेह मिलता है प्रिय सहज स्वभाव को।। :: शुचि त्याग ::शुचि त्याग की आग बसी जिस जीवन
में उसमें बस प्यार पला। प्रिय प्यार पला जिस जीवन में,
उस का हर एक विकार गला। जिसने समझा नहिं भाव सनेह का,
जीवन में बस हाथ मला। इतिहास गवाह है देख जरा,
दम से- इसके यमकाल टला।। Click here to read more… और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – © अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ – Lyrics and Poetry on Life |