भारतीय सैनिकों पर कविता अनमोल ज्ञान इंडियाआनन्दमय जीवन की कला
भारतीय सैनिक पर गीत हिंदी में
Bhartiya Sainik Par Geet in Hindi
मेरी क़ुरबानी के साक्षी सूरज, चाँद, सितारे होंगे,
जब लौटूँगा बूढ़ी माँ के अश्रु नयन ने धारे होंगे।
जाने क्या दुख-दर्द आँसुओं के सँग आँख-मिचौली खेलें।
माँ ने मुझे पढ़ाने ख़ातिर कितने बड़े थपेड़े झेले।
जाने कितने सपने उसने पाले साँझ-सकारे होंगे।
उस विधवा ने बेबस होकर निठुर नियति को स्वीकारा है।
मुझको सीमा पर जब भेजा, ममता का स्वर तब हारा है।
करते हुए आरती जाने क्या-क्या थे न्यौछारे होंगे!
सखा-सहोदर छूट गए लो जन्म-जन्म के नाते जो थे।
मुनिया, राजू छूट गए वह चाचू पर बलि जाते जो थे।
जाने उनपर क्या बीतेगी कैसे वह दृगतारे होंगे!
उस बूढ़े बरगद की शीतल छाया मुझे बुलाती होगी।
प्रियतम की हर साँझ अकेली, गीत विरह के गाती होगी।
कितने अश्क़ छलक ना पाए,अन्तस् में ही मारे होंगे।

Bhartiya Sainik Par Geet

– ©सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –