चुनाव राजनीति पर कविता
चुनाव आम जनता की भावना और इच्छा है
यह एक पंचवर्षीय लोकतंत्र की परीक्षा है प्रजा द्वारा प्रजा के लिए प्रजा की सरकार हेतु चुनाव है अब तो जाति वर्ग समुदाय हेतु सरकार हो ऐसा भाव है क्या होगी लोकतांत्रिक देश की दशा और दिशा जब इसके मूल प्रहरी के समक्ष अज्ञानता की है निशा लोकलुभावन आश्वासनो का दौर है नेताओं की दृष्टि में जनता कुछ दिन के लिए सिरमौर है प्रत्याशियों के रग रग में झूठी संजीवनी है लोभ ग्रसित प्रजा की यही जीवनी है बड़े वायदो के बाद प्रजा जिसे चुनती राजा है वही हर क्षण उतारू होता देने को सज़ा है चुनाव आयोग स्वच्छ निष्पक्ष चुनाव के लिए सख्त है व्यापारी प्रत्याशी सेवक सभी तिकडम में त्रस्त है जनता तो अपने मत को अधिक मूल्य पर बेचने में मस्त है आम जनता तो भौतिक और आर्थिक सुख में है आतुर सुन्दर अतीत वाला भारत संस्कृति संस्कार के प्रति है भयातुर। विकसित राष्ट्र का क्या यही उचित स्वरूप है? जब भविष्य का भारत इस प्रकार विद्रूप है । – ©ओमप्रकाश त्रिपाठी साहित्यकार – Chunav Rajneeti Par Kavita / Lekh Click here to read more… और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें Chunav Rajneeti Par Kavita/ Lekh |