Holi ka Tyohar AnmolGyan India

Holi Ka Tyohar in Hindi : होली का त्योहार

=> 24-03-2024 (रविवार- Sunday) => होलिका दहन
=> 25-03-2024 (सोमवार- Monday) => होली, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत

होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। होली रंगो का त्योहार है। यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पूरे भारत देश में मनाया जाता है। यह त्योहार सभी हिंदू लोग बड़े ही उत्साह व सौहार्दपूर्वक मनाते हैं। लेकिन होली सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि सभी वर्ग के लोग बड़े प्रेम पूर्वक मनाते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। जो निम्नलिखित है –

होली का त्योहार प्रेम और भाईचारे की भावना का त्योहार है। इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान सभी आपसी वैर भुलाकर होली खेलते हैं। इस दिन सभी के घरों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान और मिठा़ईयां बनाई जाती हैं तथा मित्र, दोस्त, सम्बन्धी, रिस्तेदार और घर-परिवार के लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर ईर्ष्या भूलकर मिठाइयां खिलाते है।

होली में लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर तथा गुलाल, अवीर लगाकर एक दूसरे से गले मिलते है तथा दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। यह पावन पर्व लोगो को संदेश देता है की मनुष्य अपने ईर्ष्या, द्‌वेष अहंकार तथा परस्पर वैमनस्य को भुलाकर एक दूसरे में प्रेम का भाव उत्पन्न हो।

ब्रज में होली का त्योहार तो प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। लठमार होली जो कि बरसाने की है वो भी बहुत प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी 10-15 दिनों तक होली का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं।

इस दिन जगह-जगह पर शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ भी होती हैं। गांवो में तो लोग, अपने पास-पड़ोस के साथ टोलियाँ बनाकर घर-घर जाकर रंग लगाते हैं तथा ढोल, मृंदग बजा कर खूब नाचते-गाते हैं। बच्चे लोग तरह-तरह की पिचकारियाँ व गुब्बारों में रंग भरकर एक-दूसरे को रंग डालकर होली का आनंद उठाते हैं।
इस अवसर पर विभिन्न टी.वी. चैनल पर हास्य कविताएँ, गीत आदि प्रसारण कर अपने दर्शकों को हर्षोउल्लासित करते हैं।

होली क्यों मनाई जाती है – Why celebrate Holi festival :-

इस त्योहार का धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक महत्व है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास तथा पौराणिक कथा सुप्रसिद्ध है। प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर राजा था जो ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करके मृत्युलोक पर विजय प्राप्त कर ली थी। वह अपने आप को भगवान् मनाता था।

हिरण्यकश्यप की एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। और एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रह्लाद था जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का बहुत विरोधी था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को विष्णु की भक्ति करने से जब रोका तब प्रह्लाद ने उसकी बातों को मानने से मना कर दिया और कहा वो तो परम पिता परमेश्वर है जो मनुष्य का उधार करते है उनकी भक्ति नहीं छोड़ सकते है। तब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की योजना बनाई और अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी। क्योंकि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था।

उसकी बहन होलिका ने अपने भाई की मदद करने के लिए तैयार हो गयी। उसके बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई परन्तु भगवान् विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद, आग में सुरक्षित बच गए लकिन उसकी बहन होलिका आग में जल कर भस्म हो गई। तभी से होलिका दहन परंपरागत रूप से हर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।