jeevan ka rahasya, anmol jeevanThe Art of Happiness Life
अनमोल जीवन का रहस्य हिंदी में : Anmol Jeevan Ka Rahasya in Hindi

मनुष्य का जीवन बहुत रहस्यमय है । जीवन के रहस्य को समझना आसान नहीं है । इस रहस्य में भी बहुत रहस्य छिपे हैं जैसे व्यक्ति का चित्त अर्थात चित्त वह है, जो मन से जुड़ा होता है, लेकिन साथ ही यह हमारे बीते हुए पल के प्रवृत्तियों , संस्कारो को अपने में समेटे हुए होता है । मानव जीवन समुद्र में तैरते हुए हिमखंड ( Glacier ) के ऊपरी हिस्से के समान होता है जो की दिख रहा है , परन्तु इसका अदृश्य पहलू भी है , जो जल के अंदर दुबे हुए विशाल हिमखंड के समान है ।

मानव जीवन की यात्रा अनंत है ( The journey of human life is infinite ) । इस यात्रा में शरीर वस्त्रो की तरह बदलते जाते है । इस संसार में जब मनुष्य जन्म लेता है तो वह शरीररूपी वस्त्र धारण कर लेता है और जब वह मरता है तो वह शरीररूपी वस्त्र को त्याग देता है ।
भगवान कृष्ण ने, गीता में अर्जुन को उपदेश दिये थे क़ि –

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥

– जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नये शरीरों को धारण करता है ।

जो जीवन हमें दिखता है , वह जन्म और मृत्यु के बीच दिखता है । लेकिन जब वह दूसरा नया शरीर धारण ( New body hold ) करता है तब उसका फिर से जीवन की यात्रा शुरू हो जाती है ।

मनुष्य का चित्त ही है, जिसमे किये गए कर्म – संस्कारों का संग्रह होता है । इन्ही कर्मो के आधार पर ( On the basis of karma ) यह निर्धारित होता है कि उसके माता – पिता कौन होंगें ? कहाँ जन्म होगा ? क्या जीवन में करना होगा? और उसके जीवन में क्या – क्या घटनाएं होंगीं ?

यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति की सोच, विचार, कार्य करने के तरीके अलग – अलग होते हैँ, और उनके जीवन की भिन्नता के पीछे, कर्म ही एक कारण होते हैँ । मनुष्य जीवन के रहस्यों को समझना आसान नहीं है , मनुष्य का शरीर जो दिखता है , उसका सीमित आकर है, लेकिन चित्त सूक्ष्म, अदृश्य होते हुए भी, बहुत विशाल ( Very huge ) है । इसलिए इस भवसागर से पार करना आसान नहीं है ।

महर्षि पतंजलि कहते है कि – “योग: चित्तवृत्तिनिरोध:”
अर्थात चित्त कि वृतियों के अनुसार ही चलता है, मन की चंचलता तथा प्रवृति सत्ता के अनुसार  ही होती है ।

जो योगी, ज्ञानी , विशिष्ट व्यक्ति ( Yogi, wise, specific person ) होते हैँ वे साधारण व्यक्ति  से अलग होते हैँ । भले ही उनका जीवन व व्यवहार सामान्य  दिखता हो, लेकिन मन विशिष्ट होता है, वे लोग जिस तरफ अपना मन लगा देते हैँ, उसी तरीके से घटनाएं घटने लगती हैँ । सामान्य मनुष्य अपने मन के अनुसार कार्य करते हैं, लेकिन योगी, ज्ञानी , महात्मयों का अपने मन पर नियंत्रण ( Control your mind ) होता है । जिसके माध्यम  से सृष्टि के बड़े – बड़े कार्य संपन्न  होते हैँ और यही कारण है कि उनके दवारा असाधारण कार्य ( Extraordinary work ) भी सहजता से हो जाता है ।

मानव जीवन में (In human life) चित्त की बड़ी भूमिका  होती है और चित्त को समझे बिना , मनुष्य जीवन को समझना आसान नहीं होगा ( Understanding human life will not be easy. ) ।

– © Ashok Kumar Maurya –