गुड़ खाने के क्या फायदे है? – Gud Khane ke Kya Fayde Hai?… Click hereवसंत को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा कहा गया है। यह शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु के मध्य का संधिकाल होता है। इसमे मौसम समशीतोष्ण होता है, प्रकृति में सर्वत्र उल्लास और मादकता विद्यमान रहती है। इस समय नये नये कोपलों, रंग बिरंगे फूलों की सुंदरता और सुगंध के माध्यम से प्रकृति मानो अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रही होती है। कुल मिलाकर वसंत का मौसम बहुत ही मनोरम और सुहावना होता है। लेकिन यदि समुचित आहार विहार का ध्यान न रखा जाय तो इस मौसम में स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक प्रकार की समस्यायें भी उत्पन्न हो सकती हैं। अनमोल ज्ञान – Anmol Gyan… Click hereऋतु परिवर्तन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान हेतु आयुर्वेद में ऋतुचर्या का विशेष महत्व है। ऋतुचर्या का अर्थ है मौसम के अनुकूल आहार विहार या दिनचर्या। आयुर्वेद शास्त्रों में अलग अलग ऋतु के लिए अलग अलग प्रकार के आहार विहार का वर्णन है। चूँकि अभी वसंत चल रहा है इसलिए आज हम वसंत की ऋतु की चर्या प्रस्तुत कर रहे हैं। दीर्घ जीवन के लिए कुछ उपाय – Some Tips for Long Life… Click hereशरीर पर मौसम का प्रभाव – Effect of weather on bodyवसंत ऋतु में सूर्य की किरणें तेज होने लगती हैं जिसके कारण शीतकाल (हेमंत और शिशिर ऋतु) में संचित कफ कुपित होने लगता है। इसके कारण लोगों में सर्दी, खांसी, दमा, नजला, जुकाम, साइनोसाइटिस, टांसलाइटिस, गले में खराश, पाचन शक्ति की कमी, व जी मिचलाने जैसे अनेक प्रकार के लक्षण प्रकट होते हैं। इस काल में खसरा, मीजल्स व एन्फ्लूएन्जा, जैसे कई प्रकार के वायरल इनफेक्शंस का भी प्रकोप देखने को मिलता है। इस समय वातावरण में सूर्य का बल बढ़ता है, चंद्रमा का बल क्षीण होता है, जलीय अंश और स्निग्धता की कमी होती है। इसके परिणाम स्वरूप हमारे शरीर में आलस्य और दुर्बलता की वृद्धि होती है। अतः इस मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखें। बासी, गरिष्ठ और कफवर्धक पदार्थों का सेवन तो भूलकर भी न करें। विश्व ओजोन दिवस – World Ozone Day… Click hereपथ्य / लाभदायककटु, तीक्ष्ण, व कषाय रस युक्त ताजा हल्का और सुपाच्य भोजन। चना, मूँग, अरहर, जौ, गेहूँ, चावल, आदि अनाजों से बने भोज्य पदार्थ। सभी प्रकार की हरी सब्जियां तथा उनका सूप। करेला, लहसुन, अदरक, पालक, जमींकंद, केले के फूल व कच्चे केले की सब्जी, कच्ची मूली, गाजर व मौसमी फल। नीम की नई कोपलें, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आँवला, नीबू और शहद। इस समय भोजन बनाने में सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए। मजेदार हास्य/चुटकुले – Funny Comics/Jokes … Click hereप्रातः काल अंकुरित चना, भिगोया हुआ किशमिश व अँजीर तथा भोजन के समय मक्खन लगी रोटी खाना चहिए। जल इस समय अधिक मात्रा में पीना चाहिए। यदि शरीर में सर्दी या कफ का प्रभाव दिखे तो जल में थोडा़ सा अदरक, काली मिर्च और पीपल डालकर उबाल लें और गुनगुना होने के बाद उसी पानी में शहद मिलाकर पीना चाहिए। यदि यह न संभव हो तो केवल गुनगुना पानी भी पी सकते हैं। बसंत ऋतु ऋतु में नियमित रूप से हल्का व्यायाम या योगासन सभी के लिए अनिवार्य है। सूर्योदय से पहले उठकर भ्रमण करें। रात्रि में देर तक जागरण और सुबह देर तक शयन हानिकारक है। दिन में तो बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे कफ दोष और बढ़ेगा। शरीर में तेल मालिश करके गुनगुने पानी से स्नान करें। जो लोग यौगिक षट्कर्म जानते हों उन्हें इस समय वमनधौति और जलनेती का अभ्यास करना चाहिए। पृथ्वी दिवस पर स्लोगन – Prithvi Diwas Par Slogans… Click hereअपथ्य / हानिकारकपचने में भारी, ठंढे व अधिक चिकानाई युक्त भोजन, जैसे- नया अनाज, उड़द, दही बड़ा, पूरी, कचौड़ी, रबड़ी, मलाई, मिठाई, आइसक्रीम, केक, पिज्जा, बर्गर, चकलेट, गुड़, शक्कर, खजूर, व खटाई (इमली, अमचूर) आदि। शीत प्रकृति वाले पेय पदार्थ, जैसे- ठंढा पानी, ठंढी लस्सी, ठंढाई शर्बत, व कोल्डड्रिंक्स आदि। खुले आसमान में सोना, ठंढ में रहना, धूप में घूमना, रात में जागना व दिन में सोना। महत्वपूर्ण दिन और तिथियों की सूची – List of Important Days and Dates… Click here Kaisa Ho Aahar Vasant Ritu Mein – @ आचार्य बी एस ‘योगी’ – |