Lord Shiva 35 Rahasya

Bhagwan Shiv ke 35 Rahasya in Hindi : भगवान् शिव जी के 35 रहस्य हिंदी में

Bhagwan Shiv ke 35 Rahasya : भगवान् शिव के रहस्यों का वर्णन नीचे दिया गया है ( The secrets of Lord Shiva are described below ) –

  • भगवान् शिव अर्थात माता पार्वती के पति शिव शंकर जिन्हें महादेव कहा जाता है।

1. आदिनाथ शिव ( Adinath Shiv ) – सबसे पहले भगवान शिव ने ही पृथ्वी पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ।

2. भगवान् शिव का नाग ( Lord Shiva’s Serpent ) – भगवान शिव के गले में जो हमेशा नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।

3. शिव जी के अस्त्र-शस्त्र  ( Weapons of Lord Shiva ) – शिव जी का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र तथा शस्त्र त्रिशूल है। इस सबको उन्होंने ही निर्माण किया था।

4. भगवान् शिव के शिष्य ( Disciple of Lord Shiva )- भगवान् शिव जी के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि कहा गया है। इन सभी ऋषियों ने ही भगवान् शिव के ज्ञान को पूरे पृथ्वी पर प्रचारित किया जिसके फलस्वरूप भिन्न-भिन्न धर्म एवं संस्कृतियों की उत्पत्ति हुयी। भगवान् शिव जी ने ही गुरु एवं शिष्य परंपरा की शुरुआत किये थे। महादेव के शिष्य हैं- भरद्वाज, बृहस्पति, शुक्र, विशालाक्ष, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु थे।

5. शिव की अर्द्धांगिनी ( Consort of Shiva )- भगवान् शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया तथा उन्हें ही उर्मि, उमा, काली कही जाती हैं।

6. भगवान् शिव के पुत्र ( Son of Lord Shiva )- शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, जलंधर, सुकेश, भूमा तथा अयप्पा।

7. शिव के द्वारपाल ( Shiva’s Gatekeeper )- नंदी, वृषभ, गणेश, स्कंद, रिटी, भृंगी, उमा-महेश्वर तथा महाकाल।

8. शिव चिह्न ( Shiva Symbol )- साधारण मनुष्य जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस सारे चिन्ह को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अतिरिक्त रुद्राक्ष, डमरू, अर्द्ध चन्द्र तथा त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। जबकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन – अर्चना करते हैं।

9. शिव जी के गण ( Lord Shiva’s Ganas ) – भगवान् शिव के गणों में भैरव, मणिभद्र, चंदिस, वीरभद्र, नंदी, श्रृंगी, शैल, भृगिरिटी, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय तथा विजय प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त दैत्य, पिशाच, और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।

10. शिव पार्षद ( Shiv Parshad ) – जिस प्रकार जय तथा विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी प्रकार बाण, रावण, नंदी, चंड, भृंगी आदि भगवान् शिव जी के पार्षद हैं।

11. शिव जी के पंचायत ( Shivji’s Panchayat ) – भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र एवं विष्णु ये सब भगवान् शिव जी के पंचायत कहलाते हैं।

12. सभी धर्मों के केंद्र शिव जी ( Lord Shiva is the center of all religions ) – भगवान् शिव जी की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढते हैं। भगवान् शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुयी, जो बाद में चलकर नाथ, शैव, सिद्ध, दिगंबर तथा सूफी संप्रदाय में बट गई।

13. शिव जी की गुफा ( Shiva’s Cave )- भगवान् शिव जी ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने चमत्कारी त्रिशूल से एक गुफा बनाई तथा वे उसी गुफा में छिप गए। शिव जी ने जहां माता पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा ‘अमरनाथ गुफा’ के नाम से बहुत प्रसिद्ध है।

14. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय ( International expert on Buddhist literature ) – कुछ विद्वानों और उपासक का मानना है कि शंकर जी ने ही भगवान् बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अति प्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।

15. शिव जी के पैरों के निशान ( Footprints of Lord Shiva ) – श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में भगवान् शिव जी के पैरों के निशान मिलते हैं। ये पद चिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे तथा 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं।

16. देवता तथा असुर के प्रिय शिव ( Lord Shiva, beloved of gods and demons ) – शिव जी को देवों के साथ असुर, पिशाच, दानव, यक्ष , राक्षस, गंधर्व आदि सभी पूजते हैं। भगवान् शिव जी ने भगवान् राम और असुर रावण दोनों को वरदान दिए थे । भगवान् शिव सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता माने जाते हैं।

17. शिव ध्यान ( Lord Shiva Meditation ) – शिव जी को प्रसन्न करने के लिए ध्यान-पूजन किया जाता है। भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग पर वेलपत्र, मंत्र जाप या ध्यान करके मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।

18. भगवान् शिव के अवतार ( Incarnations of Lord Shiva ) – महेश, नंदी, वीरभद्र, पिप्पलाद, भैरव, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, कृष्णदर्शन, अवधूत, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, हंसरूप, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं।

19. भगवान् शिव के भक्त ( Devotee of Lord Shiva ) – ब्रह्मा, विष्णु तथा सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव जी के भक्त है। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर भगवान् शिव की पूजा-अर्चना की थी।

20. शिव के मंत्र ( Mantras of Lord Shiva ) – भगवान् शिव के मुख्य दो ही मंत्र हैं पहला मंत्र – ॐ नम: शिवाय। दूसरा मंत्र महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।

21. शिव जी के परिवार ( Lord Shivji’s family ) – शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर तथा नाग आपस में दुश्मन हैं। भगवान् गणेश का वाहन चूहा है। माता पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन भगवान् शिव का वाहन तो नंदी बैल है।

22. शिव जी के व्रत और त्योहार ( Fasts and festivals of Lord Shiva ) – सोमवार, प्रदोष तथा श्रावण मास में भगवान् शिव के व्रत रखे जाते हैं। महाशिवरात्रि और शिवरात्रि शिव का प्रमुख पवित्र पर्व है।

23. शिव महिमा ( Lord Shiva Mahima ) – भगवान् शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन में निकला था। शिव जी ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश तथा राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। भगवान् शिव की ढेर सारी महिमा का गान किया जाता है ।

24. शिव ग्रंथ ( Shiv Granth ) – वेद तथा उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा एवं दीक्षा समायी हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में भगवान् शिव जी के शिक्षा का विस्तार हुआ है।

25. शिव के प्रमुख नाम ( Major names of Lord Shiva ) – भगवान् शिव जी के वैसे तो अनेको नाम हैं जिनमें से 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है कुछ प्रचलित नाम जैसे – विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, शिवशंभु, भूतनाथ आदि

26. शिवलिंग ( Shivalinga ) – वायु पुराण के अनुसार, प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है।

27. अमरनाथ के अमृत वचन ( Amrit Vachan of Amarnath ) – भगवान् शिव जी ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान था आज वह अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव जी के द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।

28. शैव परम्परा ( Shaiva Tradition ) – सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव भगवान शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का प्रमुख्य धर्म है।

29. शिव प्रचारक ( Lord Shiva Pracharak ) – भगवान शिव जी की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, अगस्त्य मुनि, सहस्राक्ष, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, गुरु गुरुगोरखनाथ तथा मत्स्येन्द्रनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

30. शिव हर काल में ( Lord Shiva in every era ) – भगवान शिव जी ने हर काल में भक्तो को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी और महाभारत काल में भी शिव थे तथा विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है।

31. देवों के देव महादेव ( Mahadev- The Lord of all Gods ) – देवताओं और असुर एक दूसरे के शत्रु थे । ऐसे में जब भी देवताओं पर जब घोर संकट आता था तो वे सभी महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर भगवान् शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए भगवान् शिव हैं देवों के देव महादेव।

32. शिव के 12 ज्योतिर्लिंग ( 12 Jyotirlingas of Lord Shiva ) – सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों कथाये प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, बुद्धि, चित्त, मन, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल तथा पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग कहा गया है।

33. शिव का दर्शन ( Darshan of Shiva ) – भगवान शिव के जीवन एवं दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले तथा शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो तथा कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। साइंटिस्ट आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

34. शिव और शंकर ( Shiva and Shankar ) – भगवान् शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव तथा शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है।

35. शिव का निवास ( Lord Shiva’s Abode ) – ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर भगवान शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक तथा उसके बाद ब्रह्माजी का स्थान है।

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