शायद एक खुशी द्वारे से लौट गयी है,
प्यास अनकही चौबारे से लौट गयी है। एक किरण धुँधली सी आयी तो थी शायद,
डरकर वह भी अँधियारे से लौट गयी है। खलल नींद में डाल नहीं तू घर को जा रे,
कहकर नदिया मछुआरे से लौट गयी है। ख़ुद के और क़मर के चन्द फ़साने कहकर-
आज चाँदनी अँधियारे से, लौट गयी है। जहाँ रंजिशें हों वह श्री का ठौर न होगा,
यह समृद्धि कहकर द्वारे से लौट गयी है। सबकी प्यास बुझाती हूँ आकार न देखो,
कह नदियां सागर खारे से लौट गयी है। अब तू पाँव पसार मुझे कर रुख़सत फिरसे,
कहकर संध्या भिनसारे से लौट गयी है। Love Quotes in Hindi… Click here Love Ghazals in Hindi … Click here Shayari and Ghazals for Love… Click here आज का अनमोल ज्ञान… यहाँ क्लिक करें Best Ghazals for Life – @सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ – |