Desh Bhakti Kavita in Hindiआनन्दमय जीवन की कला
देश भक्ति कविता हिन्दी में
Desh Bhakti Kavita in Hindi
:: Desh Bhakti Kavita – 1 ::
शान्ति सद्भावना बसी है मन-मन्दिर में, किसी से कपट व्देष करते नहीं है हम।
हर कुरूक्षेत्र है गवाह सत्य साहस का, नम्र है स्वभाव किन्तु डरते नहीं हैं हम।
वन्दे मातरम जयघोष कर बढ़ते हैं, विजय से प्रथम ठहरते नहीं हैं हम।
ऊधम, सुभाष व मनोज प्रेरणा प्रतीक, वीरगति प्राप्ति पे भी मरते नहीं हैं हम।।
:: Desh Bhakti Kavita – 2 ::
विश्व का है, गुरू देश रहा, सदा, हो जब प्रेम व ज्ञान की बात हो।
बात हो भारतवर्ष के वैभव- भव्यता की फिर मान की बात हो।
बात हो राम की, गौतम की प्रभु-कृष्ण के योग व ध्यान की बात हो।
बात हो जीवन में शुचि सत्य की, शान्त समृद्ध विहान की बात हो।।

– © अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ –

:: Desh Bhakti Kavita – 3 ::
कुछ व्यर्थ नहीं कहना बस करके दिखाना है।
इस देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाना है।
जो वृक्ष घृणा का है गहरी हैं जड़ें उसकी,
वो वृक्ष हमें मिलकर अब जड़ से मिटाना है।
भ्रम पाल रहा मन में हमको जो मिटाने का,
बस ऐसा अधर्मी ही अब मेरा निशाना है।
इस देश के प्रति श्रद्धा का भाव नहीं जिसमे।
तो ऐसे नराधम को मिट्टी में मिलाना है ।
कुछ भी न असंभव है हम आप जो मिल जाएं,
बस मन में सफलता का विश्वास बिठाना है।
मां बाप व गुरु के प्रति सम्मान रहे दिल में,
सीखा है बुजुर्गों से बच्चों को सिखाना है।
:: Desh Bhakti Kavita – 4 ::
कौन इस सच्चाई से अनजान है ? सबसे बेहतर अपना हिंदुस्तान है ।
खाक में मिल जायेगा नापाक वो, चोर है मक्कार है बेईमान है ।
विश्व में परचम अलग लहरा रहा, देश की अपने अनोखी शान है ।
देखने में वो सायना हो भले, दर हकीकत आज भी नादान है ।
सोचने का तौर बदलो देख लो, है जहां गीता वहीँ कुरआन है ।
जिस्म तो है कर लिया फौलाद सा, दिल मगर फूलों का एक गुलदान है ।
मन भले संवेदनाओ से भरा, पर इरादा आज भी चट्टान है ।

– © मंजुल मिश्र मंज़र –