Dhanyo Grihasthashram Shlok : धन्यो गृहस्थाश्रमः
:: उक्त श्लोक का अर्थ ::
घर में सभी सानंद हों, पुत्र विवेकशील हो, पत्नी प्रेम पूर्ण बोले,दोस्त सभी अच्छे हों, धन हो, पति और पत्नी के मध्य प्रेम हो, सेवक आज्ञाकारी हो, अतिथि की देव हो, ईश्वर की पूजा होती हो, नित्य बढ़िया भोजन बनता हो, और सत्पुरुषों का संग होता हो। ऐसा गृहस्थाश्रम धन्य है।
– © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ – Man aur Atma mein Kya Antar Hai ? – मन और आत्मा में क्या अंतर है ? |