:: मजेदार हास्य ::
एक बार माया नगरी की यातरा बनी तो
मित्र मेरा बोला “यार चालू में है चलना। अब तक घर फूंक बहुत तमाशा हुआ घर-बार चेत अब हमें है संभलना।” सुन सदवाक्य मैं अवाक रहा ताक उसे यार ये मिठाईलाल है कि कोई छलना। बात पूरी कर तब फूँक मारी बीड़ियों की खोंखते-खखारते ही मुझे पड़ा टलना। सत्य वचन… Click here to read moreअटे जब टेसन पे खड़ी दिखी रेल नीली
घुसे ठेल-ठालकर रेले को भी रेलकर। बड़ा हुँसियार रहा जन्म का मिठाईलाल पँजियाते चला आह मुझे भी धकेलकर। भीड़ इतनी कि पाँव फर्श पर पड़े नहीं अड़े रहे भाँति- भाँति बदबू को झेलकर। घंटे हाँ चौबीस बीते कुर्ला भी आ गया लो उतरे मिठाई गिनी गालियों को पेलकर। बोले मुझसे कि परेशान होने का नहीं है
इदरीच तेरे कू मैं खोली दिलवाएगा। जब तक काम-धंधा दिलवा न पायेगा मैं अपनी ही कोठरी में तुझे ठहराएगा। खोली में पहुँचते ही गिरा नाली में फिसल दोस्त बोला-रुक, पानी आये तो नहायेगा। मैंने बोला- इतना बता दे तू मिठाईलाल कब मुझे वापसी का टिकिट करायेगा? Hasya Kavita in Hindi – © सत्यव्रत मिश्र “सत्य” – |