Some Tips for Long Life… Click here (यहाँ क्लिक करें)मैने सुना है सृष्टि रचना के समय ब्रह्मा जी के मन में एक ऐसी योनि के निर्माण का विचार आया जो अन्य सभी से श्रेष्ठ, समर्थ, समुन्नत तथा शक्तिशाली हो। तब उन्होंने मनुष्य की रचना शुरू की। इसके पूर्व वे पशु-पंक्षी, कीट-पतंग, देव-दानव, यक्ष-गंधर्व आदि नाना प्रकार के जीवधारियों की रचना कर चुके थे। फिर उन्होंने मनुष्य को वे सारी क्षमताएँ प्रदान कीं जो अन्य जीवधारियों में विद्यमान थीं। इसके अलावा उसमें स्वरूपावस्था का ज्ञान और मुक्त होने की क्षमता भी थी। आज का सुविचार..Click here…इस प्रकार ब्रह्मा जी ने मनुष्य के रूप में एक सर्वगुण सम्पन्न, विवेकी, ज्ञानी तथा सत् चित् आनंद स्वरुप योनि का सृजन किया। यह बात जब अन्य जीवधारियों को पता चली तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। देवता भी ईर्ष्या से भर गये। देवताओं के नेतृत्व में सभी लोग ब्रह्मा जी के पास पहुँचे और कहने लगे कि जब सारी शक्तियां, सारी प्रतिभाएँ, मनुष्य को ही देनी थी तो आपने हम लोगों को बनाया ही क्यों? मानव को आपने इतना समग्र और शक्तिशाली बना दिया कि इसे और किसी की कोई आवश्यकता ही न रहेगी। योग का वास्तविक अर्थ और परिभाषा – Definition of Yoga Click here…परम तत्व से परिचित यह जीव न तो किसी को डरेगा और न ही किसी को पूजेगा। जब इसके सामने संसार में हमारा कोई महत्व ही नहीं रहेगा, तो फिर हमारे होने या न होने का प्रयोजन ही क्या? ब्रह्मा जी ने सबकी बातों को ध्यान से सुना और उस पर गम्भीरता से चिंतन-मनन किया। फिर उन्होंने मनुष्य के अंतःकरण (साफ्टवेयर) में कुछ परिवर्तन कर दिया और देवताओं से कहा कि आप लोग निश्चिंत होकर जाइए, मैने आप की समस्याओं समाधान कर दिया है। अब यह अपने स्वरूप को भूल जाएगा, आज के बाद से जो चीजें इसके भीतर छिपी होंगी उन्हें यह बाहर खोजेगा। Jeevan Me Yog Ka Mahatva भीतर देखने की कला –ऐसा कहा जाता है कि तभी से मनुष्य भीतर देखने की कला भूल गया, और हर चीज को बाहर खोजने लगा। फलस्वरूप दिन प्रतिदिन वह स्वयं से दूर होता गया, कमजोर होता गया, पराधीन होता गया, दुःखी होता गया। आज भी वही सब चल रहा है। शांति हमारे भीतर है, लेकिन उसे हम बाहर खोज रहे हैं। आनंद हमारे भीतर है, लेकिन उसे हम बाहर खोज रहे हैं। आरोग्य हमारे भीतर है, लेकिन उसे हम बाहर खोज रहे हैं। परमात्मा हमारे भीतर है, लेकिन उसे हम बाहर खोज रहे हैं। हम बाहर देखने के इतने अभ्यासी और आदी हो चुके हैं कि भीतर देखने की हमारी क्षमता ही नष्ट हो गई, संभावना ही क्षीण हो गई। जीवन में खुश रहने के उपाय… Click here (यहाँ क्लिक करें)योग भीतर देखने की कला है, योग भीतर झाँकने की विधि है, योग भीतर की ओर चलने का मार्ग है। बहुत दौड़ लगा ली संसार की, बहुत यात्राएँ कर लिए वाह्य जगत की। क्या दिखा? क्या मिला? सिवाय एक मृगतृष्णा के। जिस प्रकार एक हिरन अपने कुण्डल में स्थित कस्तूरी को खोजने के लिए सारे जंगल में भटकता फिरता है उसी प्रकार आप भी एक बेहोशी की हालत में, एक मूर्छा की अवस्था में, वाह्य जगत का विचरण करते जा रहे हैं, करते जा रहे हैं। और इसमें इस तरह से उलझे हुए हैं कि कभी पीछे मुड़कर देखने का खयाल तक नहीं आने पाता। लेकिन एक बात गाँठ बाँध लीजिए कि यह सफर अंतहीन है, न तो यह आपको कहीं पहुँचाएगा और न ही कभी इसका अंत होगा। आप जीवन भर जो रेत के घरौंदे बनाते हैं वह अचानक एक ही झटके में भरभराकर गिर जाते हैं, मिट्टी में मिल जाते हैं। आप जीवन भर समृद्धि के जो दीये जलाते हैं वे सब के सब हवा के एक ही झोंके में बुझ जाते हैं। शीर्षासन कैसे करें? विधि और लाभ हिंदी में – Shirsasana Kaise Kare? Vidhi aur Labh in Hindi Click here…आप सारी जिंदगी रात दिन एक करके जो कुछ भी इकट्ठा करते हैं उसे एक ही झटके में मौत आपसे छीन लेती है। आपके पास बचता क्या है? अंततोगत्वा आप एक हारे हुए जुआरी की भाँति दीन-हीन व अकेले नजर आते हैं, एकदम अशक्त, अवाक और किंकर्तव्यविमूढ। क्योंकि अभी आप लक्ष्य बना रहे हैं उद्देश्य को भूलकर, संसार को पा रहे हैं स्वयं को खो कर, लोगों के निकट जा रहे हैं स्वयं से दूर होकर। इस प्रकार आप कैरियर में, व्यसाय में, राजनीति में अथवा किसी अन्य क्षेत्र में आये दिन नये-नये कीर्तिमान तो स्थापित कर रहे हैं पर उसके लिए जो कीमत चुका रहे हैं वह बहुत अधिक है। यह बिल्कुल घाटे का सौदा है, किसी भी दृष्टि से लाभदायक नहीं। अनमोल ज्ञान – ANMOL GYAN …Click here…अभी समय है, जागो! बाहर के साथ-साथ भीतर की ओर देखना भी प्रारंभ करो, अपने भीतर झाँकने का प्रयत्न करो, स्वयं को जानने का प्रयत्न करो। और निश्चिंत रहो, इसके लिए कुछ भी छोड़ने की जरूरत नहीं। योग जोड़ने का मार्ग है, छोड़ने का नहीं। योग प्राप्त करने का मार्ग है, त्यागने का नहीं। वैसे भी आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं है, सिवाय अशांति के, सिवाय दुःखों के, सिवाय वेदना के, सिवाय बीमारियों के, सिवाय समस्याओं के, सिवाय मूर्खता के, लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ है। अतः आप अपनी दिनचर्या में, आपने दैनिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में एक छोटी सी कड़ी योग को भी जोड़ लें। और ध्यान रखिए! आपके जीवन में इसे न जोड़ने का न तो कोई कारण है और न ही इसका कोई विकल्प। डिहाइड्रेशन से बचने के उपाय-Remedies to Avoid Dehydration… Click here (यहाँ क्लिक करें)आपके सामने दो ही मार्ग है, एक बाहर जाता है दूसरा भीतर, एक रोग की ओर जाता है दूसरा योग की ओर, एक विनाश की ओर जाता है दूसरा उपलब्धि की ओर। अगर आप तैयार हैं भीतर झाँकने के लिए, अगर आप तैयार हैं अन्तर्यात्रा पर निकलने के लिए, अगर आप तैयार हैं सत् चित् आनंद स्वरूप को उपलब्ध होने के लिए, और दूसरे शब्दों में अगर आप तैयार हैं इस देवदुर्लभ मानव जीवन का आनंद लेने के लिए रस लेने के लिए, तो विलम्ब बिल्कुल भी मत करिए। आइए! स्वागत है, आइए! बुलावा है, आइए! निमन्त्रण है। अनेकानेक लोग यौगिक जीवन शैली को अपनाकर स्वस्थ, प्रसन्न, प्रभावी व मुक्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आप भी नियमित योगाभ्यास द्वारा अनेकानेक प्रकार के साइकोसेमेटिक बीमारियों की आशंका से मुक्त जीवन व्यतीत करते हुए मानव जीवन के महान लक्ष्य की प्राप्ति करें। हरि ॐ तत्सत्। Jeevan Me Yog Ka Mahatva – ©डाॅ योगी बलवन्त सिंह (चिकित्सा परामर्श) – |