पति-पत्नी में प्रेम बढ़ाने का उपाय

Pati Patni mein Pyar Badane Ke Upay ? : पति पत्नी में प्यार बढ़ाने का तरीका ?

पति – पत्नी के रूप में दो अनजान व्यक्ति परस्पर एक दूसरे से समर्पण भाव से जुड़ते हैं । जिसे विवाह की संज्ञा दी जाती है ( Which is called marriage ) । अर्थात दो शरीरो का मिलन होता है या दो आत्माओं ( Souls ) का समन्वय ( Co-ordination ) है । विवाह संस्कार ( Sacraments ) के बाद ही प्रेम का विस्तार सीखना आरम्भ करता है । मेरे माता – पिता, भाई – बहन के प्रति प्रेम स्वाभाविक है , किन्तु अभी जो अनजान सदस्य ( Unknown member ) घर में आया है , उसे भी प्रेममय भावों ( Expressions ) से अभिभूत किया जा सकता है, यह विवाह के उपरांत ही संभव होता है । प्रेम की यह प्रक्रिया कभी कम नहीं होती बल्कि धीरे – धीरे परिवार, समाज तथा राष्ट्र ( Society and nation ) की ओर उन्मुख होने लगती हैं । जो मनुष्य जीवन का वास्तविकता होती है ।

विवाह संस्कार के कुछ वर्षों तक शिष्टाचार ,प्रेम, व्वयहार तथा आदर ( Courtesy, love, beauty and respect ) परस्पर बना रहता है, किन्तु जैसे – जैसे गृहस्थ जीवन ( Domestic life ) का समय आगे बढ़ता है, वैसे – वैसे ही एक दूसरे से तनाव , मनमुटाव तथा आपसी झगड़े ( Stress, confusion, and mutual disputes ) की स्थिति होने लगती है । प्रेम की जगह घृणा का भाव होने लगती है ।

विवाह अर्थात दाम्पत्य – सूत्र में वधते समय जिन पवित्र प्रतिज्ञा लिया गया था, उसे तो भूल ही जाते हैं । और विचार न मिलने के कारण कलह, झगड़े , तनाव की स्थिति बन जाती है । जैसे एक हाथ से ताली बजना संभव नहीं होता । केवक पति या पत्नी को गलत ठहरना युक्तपूर्ण ( Containing ) नहीं है , क्योकि लड़की कल तक अपने माता – पिता , भाई – बहन के साथ थी , उसके आचार एवं विचार ( Ethics and views ) माता – पिता के घर के अनुसार होते हैं । विवाह के बाद जब वह नए घर में प्रवेश करती हैं तो उस घर में सामंजस्य अर्थात घुलने – मिलने में तो समय लगेगा ।


Pati-Patni Mein  Pyar Badane Ke Upay

उदाहरण के लिए ( For example ) यदि पानी में शक्कर डाल दिया जाय और अपेक्षा किया जाय कि वह तुरंत मीठा हो जाय तो यह संभव नहीं होगा । उसी प्रकार से सास , जिठानी सोचे कि बहू एक ही दिन में हमारे अनुकूल ( Favorable ) चलने लगे तो यह बहुत कम संभव होता है ।

गृहथ जीवन में कुछ न कुछ परेशानियाँ ( The problems ) आये दिन होती रहती हैं । ऐसे समय में उदारता पूर्वक विचार ( Generously thinking ) करना बहुत जरुरी होगा । धर्म पत्नी को सहचरी, अर्धांगिनी कहा जाता है तो उसे भी सामान रूप से सलाह , विचार और प्रस्ताव ( Advice, ideas and proposals ) रखने का पूरा अधिकार ( Rights ) है । अतः पति – पत्नी एक दूसरे को समझ न सके तो ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण ( Unfortunate ) ही कहा जायेगा । पति-पत्नी में आपसी मन मुटाव होता रहता है, जो विश्वास की कमी के कारण होता है। पति-पत्नी का जो सम्बन्ध होता है वह विश्वास पर ही टिका होता है।

दाम्पत्य जीवन में याद रखने वाली कुछ बातें निम्नलिखित हैं ( Following are some things to remember in a couple’s life. ) –

=> आरम्भ से ही पति – पत्नी को एक दूसरे को समझ लेना चाहिए ।
=> पति – पत्नी को जो अच्छा न लगे उस बात को या कोई भी चीज हो उस पर चर्चा ही नहीं करना चाहिए ।
=> पति – पत्नी को या दूसरे पर विश्वास करना चाहिए ।
=> पति को, पत्नी की अभिरुचियों के अनुसार तथा पत्नी को, पति की अभिरुचि के अनुसार काम करने चाहिए जिससे एक दूसरे में परस्पर प्रेम बना रहेगा । पत्नी की प्रतिष्ठा, पति की प्रतिष्ठा होता है ।
=> कोई भी बात करना हो तो एक दूसरे को, प्रेम पूर्वक करना चाहिए ।
=> भोजन और भाषा ये दोनों एक दूसरे के अनुकूल या रुचिकर होने चाहिए । जिससे सामने वाले को मंत्र मुग्ध किया जा सके ।
=> परिवार में आनन्द, ख़ुशी तभी सम्भव हो सकेगा जब पति – पत्नी एक दूसरे की भावनाओं, अभिरुचियों का स्वागत या सम्मान करें । मात्र पति या पत्नी की इच्छा से चले या किसी एक की विचारो पर चलें तो यह दुखद ही होगा, और यही मन मुटाव का कारण होता है ।
=> यदि पति या पत्नी या दोनों नौकरी करते हो तो ऑफिस की लाइफ ( Professional life ) को अलग तथा घर की लाइफ को ( Personal life ) अलग रखना चाहिए । अर्थात एक दूसरे को तथा बच्चों को समय देना चाहिए । आज कल यह दाम्पत्य जीवन में खुश न रहने का सबसे बड़ा कारण है ।


यदि पति या पत्नी या दोनों नौकरी करते हो तो ऑफिस की लाइफ ( Professional life ) को अलग तथा घर की लाइफ को ( Personal life ) अलग रखना चाहिए । अर्थात एक दूसरे को तथा बच्चों को समय देना चाहिए । आज कल यह दाम्पत्य जीवन में खुश न रहने का सबसे बड़ा कारण है ।

अधिकतर यह देखा जाता है कि पति से पत्नी, अपने माता – पिता या भाई – बहन कि निंदा सुनती हैं तो वह ये सहन नहीं कर पाती हैं, इसका कारण रक्त समबन्ध होता है, ये बात दोनों अर्थात पति – पत्नी के लिए लागू होता है । इसका सरल तरीका यही है कि पत्नी को पति के माता – पिता अर्थात सास – ससुर का तथा पति को पत्नी के माता – पिता और भाई – बहन का सम्मान तथा आदर करना चाहिए ।
पति – पत्नी के झगडे या द्वेष, मनमुटाव का सीधा असर बच्चो पर पड़ता है । इसके विपरीत यदि पति – पत्नी एक दूसरे के प्रति चिन्तन करने लगे तो इससे परस्पर सदभावना, प्रेम और सौन्दर्य बढ़ेगा, जिससे परिवार में या एक दूसरे के प्रति कलह का वातावरण ही नहीं बन सकेगा । यही पति – पत्नी अर्थात दांपत्य जीवन की सफलता की कुंजी है । ( This is the key to success of married life )

– Anmol Gyan India –