Shree Ram Naam Bolo : श्री राम नाम बोलो :: राम नाम उर धर ::व्यक्ति से बड़ा सदैव रहा है नाम तभी,
कट जाते बड़े-बड़े संकट है राम से। राम जो न कर पाते, करता है राम नाम,
तैरते हैं पानी पर पत्थर भी नाम से। राम नाम उर धर जीवन जियें सदैव,
बचे सदा असत के सारे ताम झाम से। राम पे एकाग्र चित्त हो नहीं सकेगा मित्र,
जब तक विमुख न होगा मन काम से।। :: एक नाम-राम नाम ::दुनिया के लोग सुनने से कतराते जब,
हमनें सुना है तब आप सुन लेते हैं। जगत के नाथ प्रभु आप ही हैं मेरे नाथ,
हर लेते अवगुन, हर गुन देते हैं। शरण में आपकी जो आता तो उबर जाता,
घटनाएँ जीवन की ऐसी बन देते हैं। इस लोक में ही होता अनुभूत स्वर्ग लोक,
कृपा आपकी है आप जिसे चुन लेते हैं।। :: मन्त्र पावन है राम-नाम ::श्वास-श्वास में बसा है, भारतीय जीवन में,
हिन्दुओं की अस्मिता का गायन है राम-राम। सत्य-धर्म, पुण्य-पन्थ, प्रेरक अखण्ड एक,
उर से मिटाये पाप, साधन है राम-नाम। साधन है, जीवन को जीवन बनाने हेतु,
आत्मतृप्ति दायक, रसायन है राम-नाम।। भवसिन्धु पार करने का जलयान दिव्य,
ताप त्रय हारी, मन्त्र पावन है राम-नाम।। :: राम की प्रतीक्षा में ::शिक्षा का द्देश्य पूर्ण हो नहीं सकेगा बन्धु,
व्यवसाय हावी हुआ वर्तमान शिक्षा। धन के विमोह में हुए हैं गुरू अति लघु,
मुँह फाड़ माँगते लजाते नहीं दीक्षा में। चेहरों पे चेहरे हैं अपने हों या पराये,
खरा उतरेगा नहीं कोई भी परीक्षा में। छल-दम्भ, देख मानवीयता कराहती है,
धरा है विकल फिर राम की प्रतीक्षा में।। :: प्रतिघात करते हैं राम ::अपने हितों के हित सोचते कहाँ हैं राम,
निशिदिन पर हित बात करते हैं राम। द्रोंही जो मनुष्यता के उन पर भी कभी भी,
घात करते न, प्रतिघात करते हैं राम। जीवन के झंझावातों में भी मुसकाते सदा,
छांट-छांट कर रात प्रात करते हैं राम। अवरोध कितने हों संयम न खोते कभी,
संकटों को क्षण-क्षण मात करते हैं राम।। :: रनवीर बनें ::प्रभु राम कृपा करना इतनी, हम शीतल मंद समीर बनें।
फिर संकट आयें भले कितने, निज जीवन में हम धीर बनें। जब शत्रु कोई ललकारे हमें, तज नम्रता को रनवीर बनें।
हम वीर बने बस शत्रुओं के- वध के हित राम का तीर बनें।। :: राम गोसाई ::करके दशकंधर का वध भी, अभिमान न लाते हैं राम गोसाईं।
प्रतिरोध कुचालियों का करते, दिखते अति भाते हैं राम गोसाईं। नित तीर कमान लिये कर भक्तजनों, को सुहाते हैं राम गोसाईं।
जब दास पुकारता है उस से, तब दौड़ते आते हैं राम गोसाईं।। :: राम नाम पर ::कलियुग का प्रभाव, हुआ बड़ा बदलाव,
दुष्टजन सन्त के वचन दोहराते हैं। माया ममता की डींग मारते न थकते हैं,
असहाय जन को जो रहते सताते हैं। भ्रष्ट आचरण सदा करते सहर्ष मन,
सदाचार पर बोलते नहीं अघाते हैं। राम नाम पर लड़ते नहीं, लड़ाते रहे,
निज करनी पे कभी भी नहीं लजाते हैं।। – ©अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ – |