Chanakya Niti in Hindiआनन्दमय जीवन की कला

चाणक्य नीति हिंदी में : ​​Chanakya Niti in Hindi

    • जो अपने कर्म को नहीं पहचानता, वह अंधा है ।
    • ईश्वर मूर्तियों में नहीं है। आपकी भावनाएँ ही आपका ईश्वर है।
      आत्मा आपका मंदिर है।

    • दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है ।
      Friendship of enemy is better than friendship of evil.

    • किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है ।
    • मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है ।
    • शत्रु दण्ड नीति के ही योग्य है ।
      The enemy is only eligible for punishment policy.

    • भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है ।
      There is no other enemy like hunger.

    • संकट में बुद्धि भी काम नहीं आती है ।
      Wisdom also does not work in a crisis.

    • दुर्बल के साथ संधि ना करें ।
    • संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहें ।
    • शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें ।
    • शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए ।
      The enemy’s quality should also be accepted.

    • शत्रुओं से अपने राज्य की पूर्ण रक्षा करें ।
      Completely protect your kingdom from enemies.

    • आत्मरक्षा से सबकी रक्षा होती है ।
      Everyone is protected by self-defense.

    • जन्म-मरण में दुःख ही है ।
      There is only sorrow in birth and death.

  • सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए ।
    Even if the truth is unfair, it should not be said.

  • दण्डनीति से आत्मरक्षा की जा सकती है ।
  • परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है ।
  • जुए में लिप्त रहने वाले के कार्य पूरे नहीं होते हैं ।
  • लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है ।

Chanakya Niti in Hindi

– आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) –