Chhand in Hindi : छन्द हिन्दी में
:: छन्द – 1 ::वासना के वशीभूत जग के समस्त भूत,
सब जीव जन्तु को नचा रही है वासना । काम क्रोध मद लोभ मोह को बढा़ रही है,
शान्ति सद्भावना मिटा रही है वासना । लगता है जैसे वासना कभी मिटेगी नहीं,
इस भाँति उधम मचा रही है वासना । वसना का अन्त नहीं वासना अनन्त नहीं,
बन्धु देशबन्धु की अनन्त की है वासना । – © योगी देशबन्धु – :: छन्द – 2 ::मानव – मनो में दानवों के अनुहार देख,
दुनिया की सारी मनुहार छूटती गयी । मेरे लिए रहा सदा पतझार ही परन्तु ,
एक ओर दुनिया बहार लूटती गयी । नीति – अनुरक्ति, बीन वाहिनी की शक्ति ,
ईश भक्ति के भरोसे बिष घूँट घूंटती गयी । हुआ न निराश कभी, किन्तु जिन्दगी की रात ,
जोड़ा एक हाथ, चार हाथ टूटती गयी । :: छन्द – 3 ::जिससे मन-प्राण को प्राण मिले,
वह शीतल मन्द बयार बनो । हृदयांगन भीग उठे बन कोमल,
ऐसी अनूठी फुहार बनो । झनकार बनो अपनों के लिए,
अरियों को दुधारी कटार बनो । यदि संकट में हो मनुष्यता, ‘सत्य’
पयोधि में आ पतवार बनो । – © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –
:: छन्द – 4 ::बार-बार शीश हूँ नवाता आज कौशल को,
कौशल के प्रिय प्रणवीर को नमन है । करता नमन शुचि सरयू तटों को,
और सरयू-सुधा सदृश नीर को नमन है । – © गोमती प्रसाद मिश्र ‘अनिल’ – :: छन्द – 5 :::: छन्द – 6 :: |