Diwali Par Kavita -1 हो विजय आज भी यार दीपावली, दिल बने प्रेम-आगार दीपावली ।
रोज ही अब उगे एक सूरज नया, फैलता ही रहे प्यार दीपावली ।
खुश रहें लोग सब रौशनी हो यहाँ, शोभते हों गले हार दीपावली ।
आँधियों से बचें प्रेम की वादियाँ, सींचते ही रहो क्यार दीपावली ।
नेह ‘अंजान’ से तुम बनाकर रखो, है बहुत राह दरकार दीपावली ।
Diwali Par Kavita – 2 : वर्तमान परिदृष्य और मेरी तीन कुंडलियांदीवाली अर्पित करो उन वीरों के नाम ।
जिनका जीवन आ गया मात्रृभूमि के काम । मातृभूमि के काम प्राण का दीप जलाया ।
सैनिक होने का पुनीत कर्तव्य निभाया । बिखर गए सिन्दूर हो गए आंगन खाली ।
उजडे़ कितनी कोख हुयी तब शुभ दीवाली ।। Kavita – 3दीवाली है द्वार पर हालत है बेहाल ।
करता हर पल श्रम अथक रहता है कंगाल । रहता है कंगाल देश का भाग्यविधाता ।
नेता नारा नीति उसे कुछ समझ न आता । देशबन्धु जब तक न रहे हर घर खुशहाली ।
जबतक दुखी किसान न होगी शुभ दीवाली ।। Kavita – 4दीवाली पर हम नहीं सकें पटाखे दाग ।
घुसपैठी रखते रहें उपवन में नित आग । उपवन में नित आग रोहिंगया बांग्लादेशी ।
काश्मीरी पंडित घर में ही हुए विदेशी । छठ पूजा पर रोक मोहर्रम पर दे ताली ।
महामहिम यदि कहें मनावो तब दीवाली ।। Diwali Par Kavita in Hindi – © योगी देशबन्धु – |