Ghazal in Hindi : ग़ज़ल हिन्दी में
1- भला ये कौन कहता पीर के पत्थर नहीं गलतेभला ये कौन कहता पीर के पत्थर नहीं गलते ।
ये आँसू हाँ ! मग़र हर एक दामन पर नहीं ढलते । कि मेरी मुफ़लिसी शायद मेरी सबसे बड़ी खामी,
नहीं तो दोस्तों के आज ये तेवर नहीं खलते । कहीं कर्ज़ा, कहीं सूखा, कहीं पर बाढ़ का पानी,
किसानों की कथा से वक़्त के मंज़र नहीं टलते । सितारे रात के जूड़े के जलते फूल हों जैसे,
उजाले गन्ध के सबको ये जीवन भर नहीं फलते । उन्हें कैसे बचाएगा कोई हमदर्द बनकर भी,
समय की आहटों का शोर जो सुनकर नहीं चलते । मज़ारों पर कभी भावुक दिये जल भी गये माना,
मग़र चूल्हे शहीदों के यहाँ अक्सर नहीं जलते । 2- यादों के लश्कर हैं अपनी राम कहानी मेंटूटे – फूटे कुछ अक्षर हैं, अपनी राम कहानी में ।
जलते प्रश्नों के उत्तर हैं, अपनी राम कहानी में । जाग रही आँखों में आख़िर कहाँ ठिकाना ख़ुशियों का,
सपनों में भी तो पतझर हैं, अपनी राम कहानी में । आँसू की भी एक अलग अपनी ही भाषा होती है,
पीड़ाओं के गूंगे स्वर हैं, अपनी राम कहानी में । साँझ ढले ही अक्सर मुझको आकर घेर लिया करते,
ये जो यादों के लश्कर हैं, अपनी राम कहानी में । प्यासे पनघट, तृप्त मरुस्थल, हँसते घावों के मेले,
ऐसे ही कुछ हस्ताक्षर हैं, अपनी राम कहानी में । अपने को ही रहे ढूंढते लेकिन ढूंढ नहीं पाये,
भावुक भटके जीवन भर हैं, अपनी राम कहानी में । – © कमलकिशोर ‘भावुक'(रचना “सन्नाटे की सरगम” से) – |