Hanuman Ji ke Bhajan Kirtan : हनुमान जी के भजन कीर्तन :: 1 ::क्षण में दिवाकर को देखते निगल गये,
मित्र श्री सुकंठ के तुम्हारी महिमा अपार । रार जिसने किया सिधार गया परलोक,
कहाँ किसी मे है शक्ति आपसे जो करे रार । जिसके समान कोई वीर धरती पे नहीं,
खाते खाते फल मार दिया अक्षयकुमार । बज्र के समान अंग नाम हुआ बजरंग,
पूज्य हुमान को प्रणाम करूं पार बार ।। :: 2 ::द्वार-द्वार पे लिखी हों वेद की ऋचायें और,
घर में सुप्रेरकों के चित्र होने चाहिए । छल, दम्भ, द्वेष आदि शत्रु के समान लगें,
सत्य, धर्म, न्याय, प्रेम मित्र होने चाहिए । दूसरे से ही न आश करते रहें सदैव,
निज आचरण भी पवित्र होने चाहिए । रावणों को जड़ से मिटाने हेतु मित्रवर,
अपने भी राम-से चरित्र होने चाहिए ।। – अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ – |