Hanuman Chalisa AnmolGyanआनन्दमय जीवन की कला
जय श्री हनुमान : Jai Shri Hanuman

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क्षण में दिवाकर को देखते निगल गये,
मित्र श्री सुकंठ के तुम्हारी महिमा अपार ।
रार जिसने किया सिधार गया परलोक,
कहाँ किसी मे है शक्ति आपसे जो करे रार ।
जिसके समान कोई वीर धरती पे नहीं,
खाते खाते फल मार दिया अक्षयकुमार ।
बज्र के समान अंग नाम हुआ बजरंग,
पूज्य हुमान को प्रणाम करूं पार बार ।।

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द्वार-द्वार पे लिखी हों वेद की ऋचायें और,
घर में सुप्रेरकों के चित्र होने चाहिए ।
छल, दम्भ, द्वेष आदि शत्रु के समान लगें,
सत्य, धर्म, न्याय, प्रेम मित्र होने चाहिए ।
दूसरे से ही न आश करते रहें सदैव,
निज आचरण भी पवित्र होने चाहिए ।
रावणों को जड़ से मिटाने हेतु मित्रवर,
अपने भी राम-से चरित्र होने चाहिए ।।

– अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ –

Jai Shri Hanuman