Pakistan Par Hasya Kavita in Hindi : पाकिस्तान पर हास्य कविताएं
आस्तीन के साँप जब , लगे चबाने बीन।
तब मैं भी लिखने लगा, दोहे समकालीन।। छाती ‘छप्पन इंच’ की, दिया देश ने तान।
सिर धुन धुन कर पीटता, छाती पाकिस्तान।। नींद न आती रात भर, गड़बड़ हुआ मिज़ाज।
सपने में इमरान को, दिखने लगे मिराज़।। ऊपर ऊपर एक सा, दिखता हिन्दुस्तान।
भीतर भीतर पल रहे, लाखों पाकिस्तान।। कहाँ किसी को है पता, कहाँ किसी को भान।
घर के भीतर पल रहे, कितने पाकिस्तान? शांति और सद्भाव का, मचा रहे जो शोर।
वे सब पाकिस्तान के, प्रेमी हैं घनघोर।। शांति अहिंसा की अभी, बंद करो दूकान।
अस्वीकार्य है इस तरह, वीरों का अपमान।। पापी पाकिस्तान पर, करो अवश्य प्रहार।
भितरघातियों का मगर, पहले हो उपचार।। खाते हैं जिस थाल में, करें उसी में छेद।
आस्तीन के साँप में, इनमें है क्या भेद ? संकट में दिखने लगा, ज्यों ही पाकिस्तान।
त्यों ही चालू हो गया, शांति – स्नेह अभियान।। शांति और सद्भाव का, करते वे गुणगान।
जिनको भारत से अधिक, प्यारा पाकिस्तान।। ‘सर्प यज्ञ’ चलता रहे, रुके न यह अभियान।
देश द्रोहियों पर रहे, जारी शर – संधान।। जो – जो गाँधी बन रहे, या फिर गौतम बुद्ध।
जाकर सीमापार वे, करें लोक मन शुद्ध।। अभी शान्ति – सौहार्द की, चर्चा धर्म विरुद्ध।
हो जाने ही दीजिए, यह निर्णायक युद्ध।। – ©योगी बलवन्त सिंह – |