Rajniti Par Hasya Kavita
Rajniti Par Hasya Kavita : राजनीति पर हास्य कविता

1 – कविता

लोकतंत्र के यज्ञ में, आहुति का आह्वान।
प्रथम करो मतदान फिर, भोजन या जलपान।।
करो कभी कुछ दान या, करो आप मतदान।
रखो सदा ही सथियों, बस सुपात्र का ध्यान।।
दोनों उत्तम कार्य हैं, ‘दान’ और ‘मतदान’।
बन्द करो ‘मतदान’ मत, बन्द करो मत ‘दान’।।

2 – कविता

नोटा के उपयोग की, चला रहे जो थीम।
ठगबंधन की मानिए, उन सबको बी.टीम।।
नोटा का सोंटा लिए, घूम रहे जयचंद।
समझो कुटिल कुचाल यह, बाबू भोलानंद।।
नोटा का जो आपको, देते हैं उपदेश।
लोकतन्त्र के शत्रु हैं, प्यारा जिन्हें न देश।।
नोटा है गणतंत्र के, तिरस्कार का कार्य।
लोकतंत्र की दुर्दशा, कभी न हो स्वीकार्य।।
नोटा है कुरुक्षेत्र में, कौरव दल की ढाल।
पार्थ समझ लो द्रोण के, चक्रव्यूह की चाल।।
चाहे सत्तापक्ष लो, या फिर लो प्रतिपक्ष।
घातक है रणभूमि में, रहना यूँ निष्पक्ष।।

– ©योगी बलवन्त सिंह –

मजेदार हास्य/चुटकुले …