Best Poem on life in Hindi : जीवन पर कविताएं
:: Kavita -1 ::खेल-खेल में ही है गुजर जाता बचपन,
बीतती जवानी सदा प्रेम वाले खेल में। अन्ततः सबको पहुँचना वहीं है बन्धु,
भले कोई बैठे वायुयान या कि रेल में। पग-पग पर बंदिशें ही बंदिशें हैं यहाँ,
इससे तो अच्छा होता रहते जो जेल में। उनको ही मिलता है सुख भी असीम यहाँ,
रहते जो समरूप पास और फेल में।। :: Kavita -2 ::गीत नहीं बस प्रेम के मोती
लुटाता रहूँ, जग लूटा करे प्रिय। जान सका व सका पहचान
कि प्रेम अनन्य न छूटा करे प्रिय। धर्म सदैव निभाता रहूँ सुख
दै जग को विष घूँटा करे प्रिय। कृष्ण का धाम सुहाया हमें,
परवाह नहीं जग छूटा करे प्रिय ।। :: Kavita -3 ::जिन्दगी की गति कभी मन्द पड़ने न पाये,
वक्य की नदी से वो रवानी माँग लेते हैं । काम वासना से तृप्ति हुई ही नहीं, किसी की,
है अतीत बूढ़े भी, जवानी माँग लेते हैं । देखा गया ध्यानरत जोगी, तपी आदि तक,
काम के समक्ष सब पानी माँग लेते हैं । रूप की नदी में तैरने के लिए बड़े-बड़े,
ज्ञानी सुषमा की राजधानी मांग लेते हैं ।। :: Kavita -4 ::खुद को मिटाना शर्त पहली है प्रेम ही की,
मिटा जो वही है प्रेम-प्राँगण में आ सका। जिसके अहम का वितान तनता गया वो,
स्नेह सिक्त सरिता के पास भी न जा सका। उर का वो अति सूक्ष्म भाव समझेगा क्या जो,
स्थूल तन का जरा सा भी पता न पा सका। इस खेल में उसे ही मिलता है सब कुछ,
जो कि निज सब कुछ दाँव पे लगा सका।। – ©अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’– |