प्यार की ग़ज़लें – Pyar ki Ghazale

प्यार की ग़ज़लें – Pyar ki Ghazale

Pyar ki Ghazale Anmol Gyan Indiaआनन्दमय जीवन की कला

प्यार की ग़ज़लें हिंदी में : Pyar ki Ghazale in Hindi

हो चुके रुसवा मग़र यह आशिक़ी ज़िन्दा रही।
मैं अधूरा लौट आया तिश्नगी ज़िन्दा रही।
दोस्तों के शहर में कुछ घुट रहा था दम मिरा,
क़ातिलों की उस गली में ज़िन्दगी ज़िन्दा रही।
थे सियासतदाँ कि वह आरामफ़रमाँ हो गए,
सिर्फ़ अपनी झोंपड़ी में तीरगी ज़िन्दा रही।
था बड़ा सैलाब ग़म का उस शहर की आब में,
गाँव में चैनो-सकूँ की बन्दगी ज़िन्दा रही।
लोग कहते रह गए मुझको कि यह मजनूं हुआ,
ज़ीस्त की बस खोज में आवारगी ज़िन्दा रही।
ज़ानिबे-दिल से निकलकर ज़िस्म तक हैं इश्क़ में,
है मग़र वह प्यार जिसमें सादगी ज़िन्दा रही।
था मिरा माशूक़ डूबा कुछ गुरूरे-हुस्न में,
और मेरे ‘सत्य’ की बेचारगी ज़िन्दा रही।

Pyar ki Ghazale in Hindi

– © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –

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