Rajniti Par Hasya Poems
Rajniti Par Hasya Poems : राजनीति पर हास्य कविताएँ

:: नोटा का सोंटा लिए, घूम रहे जयचंद ::

नोटा के उपयोग की, चला रहे जो थीम।
कांग्रेस की मानिए, उन सबको बी. टीम।।
नोटा का सोंटा लिए, घूम रहे जयचंद।
इनकी कुत्सित चाल को, समझो भोलानंद।।
नोटा का जो आपको, देते हैं उपदेश।
लोकतन्त्र के शत्रु हैं, प्यारा जिन्हें न देश।।
नोटा का जो आपसे, करें कभी गुणगान।
उनसे कहिये पास ही, रखें स्वयं का ज्ञान।।
:: नूतन छवि निर्माण के, अगणित हुये प्रयास ::
नूतन छवि निर्माण के, अगणित हुये प्रयास।
व्यर्थ हुये सारे जतन, पप्पू हुआ न पास।।
सत्ता से बाहर वही, विपक्षियों की हाल।
तड़प रही हो नीर बिन, ज्यों मछली बेहाल।।
जाति पंथ मत भेद के, सफल न होंगे जाल।
जान रही जनता सभी, सारी कुटिल कुचाल।।
:: गठबंधन को मानिए, मत बच्चों का खेल ::
गठबंधन की साथियों, गाँठ पड़ रही ढील।
अपनी ही ताबूत में, ठोंक रहे सब कील।।
गठबंधन को मानिए, मत बच्चों का खेल।
नहीं चल सकेगी कभी, संगति यह बेमेल।।
गठबंधन की नाव में, हैं अनगिनत सवार।
एक दूसरे से सभी, छीन रहे पतवार।।
अहंकार हठधर्मिता, घृणित स्वार्थ मतभेद।
गठबंधन की नाव में, जाने कितने छेद।।
:: लोकतन्त्र की दुर्दशा, कभी नहीं स्वीकार्य ::
नोटा का नेटवर्क है, जयचंदों के साथ।
नोटा के पीछे सखे, काँग्रेस का हाथ।।
नोटा है गणतन्त्र के, तिरस्कार का कार्य।
लोकतन्त्र की दुर्दशा, कभी नहीं स्वीकार्य।।
नोटा है कुरूक्षेत्र में, कौरव दल की ढाल।
पार्थ समझ लो द्रोण के, चक्रव्यूह की चाल।।
चाहे सत्तापक्ष लो, या फिर लो प्रतिपक्ष।
घातक है रणभूमि में, रहना यूँ निष्पक्ष।।

– ©योगी बलवन्त सिंह –