वीडियो (YouTube) देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें… Click hereDefinition of Yoga in Hindi –योग शब्द जितना चर्चित है, इसके अर्थ और स्वरूप को लेकर समाज में उतना ही अज्ञान और भ्रम भी है। प्रायः लोग ‘योग’ का यथार्थ अर्थ न करके मात्र गौण और रूढ़ अर्थ की ही चर्चा करतें हैं। कौन जाने सही अर्थ इन्हें ज्ञात नहीं, या पसंद नहीं? लेकिन मूल अर्थ अपना अस्तित्व खोता अवश्य प्रतीत हो रहा है। ऐसी स्थिति में समाज के सामने योग शब्द का सही अर्थोद्घाटन अनिवार्य हो जाता है। प्रस्तुत है पाणिनीय संस्कृत व्याकरण के आलोक में योग शब्द का अर्थ और परिभाषा। जीवन को सहज कैसे बनायें – How to make life easier… Click here‘योग’ संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका आविर्भाव दिवादिगणीय ‘युज्-समाधौ’ धातु से करण और भाव वाच्य में ‘घञ्’ प्रत्यय लगाने से होता है। पाणिनीय संस्कृत व्याकरण के धातुपाठ में अलग अलग गण में तीन युज् धातु हैं, अर्थात युज् धातु पाणिनीय संस्कृत व्याकरण के तीन गणों में पाया जाता है। तीनो से योग शब्द निष्पन्न होता है किंतु तीनों के अर्थ में थोड़ी भिन्नता है। 1- दिवादिगण में पाये जाने वाले युज धातु को ‘युज् — समाधौ’ 2- रुधादिगण में पाये जाने वाले युज् धातु को ‘युजिर् — योगे’, 3- और चुरादिगण में पाये जाने वाले युज् धातु को ‘युज् — संयमने’ नाम से जाना जाता है। यह पहले ही कहा जा चुका है कि इन तीनों युज धातुओं से योग शब्द निष्पन्न होता है किंतु तीनों के अर्थ भिन्न भिन्न हैं। दिवादिगणीय ‘युज्-समाधौ’ धातु से उत्पन्न होने वाले योग शब्द का अर्थ है समाधि। रुधादिगणीय ‘युजिर्-योगे’ धातु से उत्पन्न योग शब्द अर्थ है जोड़, संयोग, मेल, व एकत्व आदि। चुरादिगणीय ‘युज्-संयमने’ धातु से उत्पन्न होने वाले योग शब्द का अर्थ संयमन या नियमन होता है। अनमोल ज्ञान – Anmol Gyan Hindi… Click hereउपर्युक्त तीनों धातुओं में से पहले यानी ‘युज-समाधौ’ धातु से जो योग शब्द बनता है उसी योग शब्द का अर्थ योगपरक है। शेष दोनों धातुओं से निष्पन्न होने वाले योग शब्द गौण और लौकिक अर्थों में प्रयुक्त होते हैं। स्पष्ट है कि संस्कृत वाङ्ममय में तीनो अर्थों वाले योग शब्दों का प्रयोग होता रहा है। यहाँ यानि सांख्य और योगशास्त्र में जिस योग शब्द का प्रयोग होता है वह दिवादिगणीय ‘युज्-समाधौ’ धातु से (करण और भाव वाच्य में घञ् प्रत्यय लगाने से) निष्पन्न होता है, जिसका अर्थ है समाधि अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध। योगभाष्यकार महर्षि व्यास तथा योगवार्तिक, तत्ववैशारदी और भास्वती टीकाकार आदि ने इसी धातु का अर्थभूत तात्पर्य लेकर योगः समाधिः कहा है। ‘योगः समाधिः स च सार्वभौमः चित्तस्य धर्मः।’ योग सूत्र 1/1 पर भाष्य सपनों का मतलब और उनका अर्थ – Sapno Ka Matlab Aur Unaka Arth… Click hereइस प्रकार योग शब्द का अर्थ है यमनियमादि योगांगो पर आरुढ़ होकर समाधि की स्थिति तक पहुँचना और समाधि की पराकाष्ठा में स्थित होकर आत्मदर्शनपूर्वक स्वरूपावस्था की प्राप्ति। यथार्थ में तो इसे प्राप्ति कहना भी पूरी तरह से ठीक नहीं है चूँकि यहाँ कुछ नया नहीं प्राप्त होता बल्कि जो पहले से ही प्राप्त है उसीका बोध होता है इसलिए इसे “प्राप्तस्य प्राप्तिः” अर्थात् प्राप्त को ही प्राप्त करना कहा गया है। भारत की कुछ जानने योग्य बातें – Bharat Ki Kuchh Janane Yogya Bate… Click hereमहत्वपूर्ण दिन और तिथियों की सूची – List of Important Days and Dates… Click hereDefinition of Yoga – @आचार्य बी एस ‘योगी’ – |