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हिन्दी ग़ज़लें : Hindi Ghazals

:: Hindi Ghazals – 1 ::

कोई मुश्किल बिना मुश्किल के हल हो जाय, मुश्किल है ।
रात होने के पहले आज,कल हो जाय मुश्किल है ॥
मेरा महबूब है महबूब कैसा है बताऊँ क्या ।
जोत क्या, चाँद सूरज का बदल हो जाय मुश्किल है ॥
आसमानी किताबों में कही हर बार सच्ची है ।
है आसाँ समझ लेना पर अमल हो जाय मुश्किल है ॥
जिसे पैदा किया पाला बनाया हो किसी काबिल ।
उसी औलाद से माँ की टहल हो जाय मुश्किल है ॥
मेरे महबूब के ही हुश्न का साया है ये दुनिया ।
न हों महबूब से बातें , ग़ज़ल हो जाय मुश्किल है ॥
है सबका रूप अपना रंग अपना और निकहत भी ।
तेरे जैसा ‘कँवल’ कोई कँवल हो जाय मुश्किल है ॥

:: Hindi Ghazals – 2 ::

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आ गये खंजन कमलिनी ताल में इठला रही है ।
हो रही बरखा बिदा लो अब शरद ऋतु आ रही है ॥
ओस के कण रश्मियों से ले रहे हैं सात रंग ।
हो रहे हैं दिन छरहरे रात कुछ गदरा रही है ॥
खेत बोये जा रहे फिर, धान पक कर कट गये ।
चक्र जीवन मृत्यु का यह ऋतु हमें समझा रही है ॥
धो दिया मेघों ने है आकाश को कुछ इस तरह ।
चन्द्रमा है गौरश्यामल चाँदनी इठला रही है ॥
खिल रहे दिन में ‘कमल’ तो रात हँसती कमलिनी ।
मत्त है महमह पवन अलिमणडली पगला रही है ॥
 
– © कमला पति पाण्डेय ‘कमल’ –