:: 1- Best Hindi Ghazals ::दर्द क्यों इस क़दर लिया मैंने,
बेवफ़ा से वफ़ा किया मैंने। मुझको दुनिया लगी नयी जैसी,
जाम आँखों से जब पिया मैंने। काश जीता कभी मैं ग़ैरों को,
यों तो अपने को ही जिया मैंने। दर्द जब-जब मिले ज़माने से,
बिन कहे होंठ सी लिया मैंने। शेर कहने को मैं मोहब्बत पर,
ले लिया उनसे क़ाफ़िया मैंने। उनकी राहों से तीरगी मिटती,
माँग ली थी वही ज़िया मैंने। ‘सत्य’ मज़बूरी-ए-नवाज़िश थी,
उनको सरकार कह दिया मैंने। Shayari and Ghazals for Love… Click here :: 2- Best Hindi Ghazals ::वफ़ा का भाव कम होने न देंगे,
हम उसकी आँख नम होने न देंगे। हमारा दिल जला ज्यों इश्क़ में था,
कभी उन पर सितम होने न देंगे। ज़माना दर्द बाँटेगा हमारा?
नहीं, ऐसा भरम होने न देंगे। लड़ोगे जंग? आ जाओ मुक़ाबिल,
सरों को यों कलम होने न देंगे। तुम्हें हक़ चाहिए यूँ क़त्ल करके,
कभी यह काम हम होने न देंगे। – © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ – :: 3- Best Hindi Ghazals ::पहले तो मुस्कुराया कैसे बताऊँ यारों।
फिर जाल में फँसाया कैसे बताऊँ यारों। किस्मत ही जब लटी हो लुक़मान क्या करें फिर,
ये दिल उसी पे आया कैसे बताऊँ यारों। जलवे दिखा के पहले ही होश कर दिए गुम,
फिर मुझको बरगलाया कैसे बताऊँ यारों। क़ातिल अदाओं पर थी मुस्कान जानलेवा,
विश्वास डगमगाया कैसे बताऊँ यारों। वो कौन है कहाँ है सब लोग पूछते हैं,
अपना है या पराया कैसे बताऊँ यारों। ख़ुद से खफ़ा था वो या मेरी कोई ख़ता थी,
मैं ख़ुद समझ न पाया कैसे बताऊँ यारों। दोज़ख़ पे ला के पटका फिर उसके बाद क्या क्या,
“मंज़र” मुझे दिखाया कैसे बताऊँ यारों। – © मंजुल मंज़र लखनवी – :: 4- Shayari in Hindi ::इतना न करम करना साकी कमजर्फ़ है महफिल बहकेगी ।
लबरेज हुये जो पैमाने छलकेगी गुलाबी छलकेगी ॥ कूवत है कहाँ किसमें इतनी रख पाये कली को पोशीदा ।
जब बादेशबा सहला देगी पत्तों से निकलकर महकेगी ॥ है शेख़ की शेख़ी मस्जिद तक नासेह की नसीहत नासेह तक ।
मैख़ाने में गर ये आजायें सब गाँठ की बाँधी खिसकेगी ॥ माना कि यही था किस्मत में पत्थर के सनम से टकराना ।
आहों पे भरोसा कायम है हरहाल में मूरत दरकेगी ॥ मस्जिद से पियासा मैं निकला मैख़ाने गया जी भर के पिया ।
अब दिल से जहनियत की चादर उड़ जायेगी यातो खिसकेगी ॥ लेने दो उन्हें बारिश का मजा उम्मीद घटाओं से है ‘क़ँवल’ ।
वो आ के गले लग जायेंगे जब जोर से बिजली चमकेगी ॥ आज का अनमोल ज्ञान… यहाँ क्लिक करें :: 5- Best Hindi Ghazals ::यूँ तो मेरे शहर में कोई कमी नहीं है ।
सूरज हैं सितारे हैं बस रोशनी नहीं है ॥ वाइज हैं शेख़जी हैं नासेह हैं फरिश्ते भी ।
क्या हो गया!शहर में गर आदमी नहीं है ॥ चाँदी का वरक पहने डोले है यहाँ चन्दा ।
अब क्या करे बिचारा जो चाँदनी नही है ॥ हैं महफिलें सजाते ऊँची उड़ान वाले ।
सब कोई आसमाँ हैं कोई जमी नहीं है ॥ मंदिर है और मस्जिद गुरुद्वारे चर्च भी हैं ।
शैताँ छुपा है दिल में दिखता कभी नहीं है ॥ रोये है रोज अगहन रंगों नहाये फागुन ।
सावन भी रोज बरसे फिर भी नमी नहीं है ॥ नाहक ‘कँवल’ छुपाते रहते हो अपनी फितरत ।
लोगों को सब पता है कहता कोई नहीं है ॥ Click here to read more… और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – © कमलापति पाण्डेय ‘कमल’ – Shayari and Ghazals for Love |