जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय संतोषी माता ॥ 1 ॥ जय सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय संतोषी माता ॥ 2 ॥ जय गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय संतोषी माता ॥ 3 ॥ जय स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे ॥ जय संतोषी माता ॥ 4 ॥ जय गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ॥ जय संतोषी माता ॥ 5 ॥ जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही ।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ॥ जय संतोषी माता ॥ 6 ॥ जय मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ॥ जय संतोषी माता ॥ 7 ॥ जय भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै ॥ जय संतोषी माता ॥ 8 ॥ जय दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए ।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ॥ जय संतोषी माता ॥ 9 ॥ जय ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ॥ जय संतोषी माता ॥ 10 ॥ जय संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे ।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे ॥ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ॥ 11 ॥ प्रेम से बोलो संतोषी माता की जय …
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