Muktak in Hindi

Muktak in Hindi : हिन्दी मुक्तक

समीर कवितावली का एक नवीन और अद्भुत प्रयोग, जिसमे चार अलग-अलग कवियों की एक ही विषयवस्तु पर अलग -अलग पंक्तियाँ –

लेकर मुक्तक तैयार हुआ । क्रमवार चारों रचनाकारों के
आभार पश्चात मुक्तक आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है ।

अंधकार हो घटाटोप वह निशा बदलनी होगी।
अब रक्ताभ गिरा को धुलकर तृषा बदलनी होगी।
रमणी के आलिंगन की गाथाएँ बहुत रचीं हमने,
निश्चित ही अब हमें सृजन की दिशा बदलनी होगी।

– ©सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –

“बेसुरी वीणा हुई अब तार ढीले हो गए ।
आँसुओं की धार से हर गाल गीले हो गए ।
वेदना यह कह उठी, संगीत को क्या हो गया,
गीत के हर शब्द ही बेहद नुकीले हो गए ।।”

– ©आद. श्री के पी पांडेय जी
आद. डॉ अवधनरेश सिंह ‘अवधेश’जी
आद. श्री आतिश सुल्तानपुरी जी
आद. श्री गोमती प्रसाद मिश्र ‘अनिल’जी–

है मुझको आभास, अभी मैं ज़िन्दा हूँ ।
बचा फ़क़त अहसास, अभी मैं ज़िन्दा हूँ ।
क़ीमत में दे दिया उसूलों को अपने,
ले ही लिया विलास अभी मैं ज़िन्दा हूँ ।
यदि शेष रहा कुछ तो चौसर,महफ़िलें सुरा-सुंदरियों की,
हे पूर्व क्षत्रपों!अब सँभलो जाने सरिता किस ओर बहे!
गणवेश नहीं, आयुध न रहे, रण-स्यन्दन भी कब के न रहे,
उन्मूलन-काल महीपों का,गज,बाजि शेष अब कुछ न रहे।
कहा मंगरुआ ने मुझसे दस बिस्सा बाकी है।
पुश्तैनी घर में दादा के हिस्सा बाकी है।
ले आ अद्धा नया, नशा कुछ चढ़ने तो दे,
अभी मात्र है ट्रेलर, पूरा किस्सा बाकी है।

– © सत्यव्रत मिश्र ‘सत्य’ –

हे राम ..
वेदनायें बिकीं मन की बेदाम हैं,
जो ना बदले कभी बस ये दो नाम हैं ।
जानकी वन में रहकर रहीं जानकी ;
राम महलों में रहकर रहे राम हैं ।

– © नवल सुधांशु –

 

ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा ।

– © दुष्यंत कुमार –

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