Poems on Diwali in Hindi
Poems on Diwali in Hindi : दिवाली पर छोटी सी कविता
दीवाली के दिये जले पर, घर अपने अँधियारा है ।
कोई आख़िर मुझे बताये, हक़ ये किसने मारा है ।
शनै-शनै निगले है’ ग़रीबी, आफ़त गला मरोड़ रही ।
हम पर ये इल्ज़ाम लगा है, उनसे अपनी होड़ रही ।
रूखा-सूखा खाकर पलते, वैभव सिर्फ तुम्हारा है ।
कोई आख़िर मुझे बताये, हक़ ये किसने मारा है ।
प्राण हमारे मुँह को आते, लहू में’ विपदा दौड़ रही ।
हाय-हाय बेदर्द विधाता, कमर ग़रीबी तोड़ रही ।
दुनिया वाले फिर भी जलते, क्या अपराध हमारा है ?
कोई आख़िर मुझे बताये, हक़ ये किसने मारा है ।
खाट सिरहाने बँधी लक्ष्मी, आँखें हमें तरेर रही ।
अपनी फूटी क़िस्मत देखो, पाल जनम का बैर रही ।
नारायण भी हमको छलते, तम ने पैर पसारा है ।
कोई आख़िर मुझे बताये, हक़ ये किसने मारा है ।

Poems on Diwali
 
 
 
 
 
 
 

– © दीपक चौबे ‘अंजान’ –

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