Love Shayari in HindiThe Art of Happiness Life
प्रेम के मोती – Prem Ke Moti

:: बीतती जवानी सदा प्रेम वाले खेल में ::

खेल-खेल में ही है गुजर जाता बचपन,
बीतती जवानी सदा प्रेम वाले खेल में।
अन्ततः सबको पहुँचना वहीं है बन्धु,
भले कोई बैठे वायुयान या कि रेल में।
पग-पग पर बंदिशें ही बंदिशें हैं यहाँ,
इससे तो अच्छा होता रहते जो जेल में।
उनको ही मिलता है सुख भी असीम यहाँ,
रहते जो समरूप पास और फेल में।।

:: गीत नहीं बस प्रेम के मोती ::

गीत नहीं बस प्रेम के मोती
लुटाता रहूँ, जग लूटा करे प्रिय।
जान सका व सका पहचान
कि प्रेम अनन्य न छूटा करे प्रिय।
धर्म सदैव निभाता रहूँ सुख
दै जग को विष घूँटा करे प्रिय।
कृष्ण का धाम सुहाया हमें,
परवाह नहीं जग छूटा करे प्रिय ।।

:: जिन्दगी की गति – Speed ​​of Life ::

जिन्दगी की गति कभी मन्द पड़ने न पाये,
वक्य की नदी से वो रवानी माँग लेते हैं ।
काम वासना से तृप्ति हुई ही नहीं, किसी की,
है अतीत बूढ़े भी, जवानी माँग लेते हैं ।
देखा गया ध्यानरत जोगी, तपी आदि तक,
काम के समक्ष सब पानी माँग लेते हैं ।
रूप की नदी में तैरने के लिए बड़े-बड़े,
ज्ञानी सुषमा की राजधानी मांग लेते हैं ।।

:: जीवन प्रेम – Jeevan Prem ::

खुद को मिटाना शर्त पहली है प्रेम ही की,
मिटा जो वही है प्रेम-प्राँगण में आ सका।
जिसके अहम का वितान तनता गया वो,
स्नेह सिक्त सरिता के पास भी न जा सका।
उर का वो अति सूक्ष्म भाव समझेगा क्या जो,
स्थूल तन का जरा सा भी पता न पा सका।
इस खेल में उसे ही मिलता है सब कुछ,
जो कि निज सब कुछ दाँव पे लगा सका।।

– ©अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’–

Prem Ke Moti